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________________ चंदराजानो रास. चंदकीरण सम चंड कुंवर शोनानिलो ॥ लग ॥ जीम सुरतरूनो बोक वधे दिन दिन जलो ॥ ल॥ मनमथ सरिखो बालक दीसे फूटरो ॥ला ॥ सुललित बचने तेदके बोले परवमो ॥ लम् ॥१२॥ अर्थ ॥ चंपनी कलानी जेम शोजतो ते चंज कुमार जेम कटप वृदनो गेड वधे तेम दिन दिन प्रत्ये वधवा लाग्यो. ते बाल कुमार कामदेव जेवो स्वरूपवान् हतो. ते मीगं वचनो बोलबा लाग्यो. ॥१॥ - चंडावती निज धर्म मांहे कुशली घणुं ॥ ल ॥ तास प्रसंगथी नूप तजे हिंसक पणुं ॥ल०॥ वीरनृपतिने चित्त वसी जिन वासना ..॥ ल० ॥ शिख्यो जिननी जक्ति सुसाधु उपासना ॥ ल० ॥ १३ ॥ अर्थ ॥ राणी चंजावती जैन धर्ममां घणी कुशल हती, तेना प्रसंगी राजाए हिंसकपणुं गेडी दीधुं. वली तेना चित्तमां जिन धर्मनी वासना वसवाथी ते जिन नक्ति अने उत्तम साधुनी उपासना शीख्यो.॥१३॥ सत संगति गुण होय जिहां चिरिज किस्यो ॥ ल०॥ लटथी नमरी होयते संगति फल इस्यो ॥ला निपजाव्या प्रासाद जला जिन राजना ॥ लम् ॥ वृत धारी बहु रंग संतोष्या साजना ॥ ल॥१४॥ अर्थ ॥ सत्संगधी गुणवाय, तेमां शुं आश्चर्य ? जुवो ने एलनो कीडो नमरी थईजाय बे. ए संगतिनुं फल जे. राजाए जिनराजनो सुंदर प्रासाद कराव्यो अने वृत धारीने साज करी संतोष कर्यो ॥१४॥ श्म करतां सुत चं वर्ष थयो श्राउनो ॥ ल० ॥ सुरगुरु समोवम तेह कलागुण पाउनो ॥ल०॥ चोथी ढाल रसाल कही प्रीते घणी ॥ ल० ॥ दवे मोदन कहे वातते वीरमतीतणी ॥ लम् ॥ १५ ॥ अर्थ ॥ एम करतां चंज कुमार आठ वर्षनो अयो, ते कला गुण पठन करी बृहस्पतिना जेवो अयो. श्रा प्रमाणे या चोथी ढाल घणी प्रीतिथी कही संजलावी. हवे श्री मोहन विजयजी राणी वीरमतीनी वार्ता कहे १५ ॥दोहा॥ तुवसंत प्रगटीतिसे, सफल थया सहकार ॥ काम कला कोकिल कहे, जनने वारंवार ॥१॥ अर्थ ॥ एक वखते वसंत ऋतु प्रगट थई हती, आंबाना वृदो सफल श्रवा लाग्या, कोयल पक्षी लोकोने वारं वार टहुकाथी काम कला कहेवां लाग्यां. ॥१॥ केसु श्रति कुसुश्रमित थयां, रंग सुरंगा लाल ॥ खेले फाग वसंत नृप, तेहनो लाल गुलाल ॥२॥ अर्थ ॥ केसुडानां पुष्पो विकास पामी लाल रंग प्रगट करवा लाग्यां. राजा लाल गुलालथी फागुन वसंत खेलतो हतो॥२॥ सुमन थ वनघन प्रजा, मधुनृप श्राव्यो जाणि ॥ फल दल दल लेई नेटणो, स्तवे विहंगी वाणि ॥३॥ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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