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चंदराजानो रास. श्रा पांचसो नटो परिवार सहित तेना सेवक जे. अने वली नगर बहार ए पहीना रक्षण करनारा सात हजार योघा .॥१०॥
हुकम करे जो कुकमो रे, ॥ सु० ॥ पाडीए दाणवदंत ॥ पं० ॥ पूर्वी सिंहल रायने रे, ॥ सु० ॥ बेडजो को मतिमंत ॥ पं० ॥ जे० ॥ ११॥ गिरिशतखंग करूं अमे रे, ॥ सु० ॥ नेरे एकण मूठ ॥ पं० ॥ डे को
ण ने केहनी रे, ॥ सु॥ खाधीमाये सूंठ ॥ पं० ॥ जे० ॥ १२ ॥ अर्थ ॥ ए कुर्कटराय जो अमने हुकम करे तो मोटा दैत्यना पण दांत तोडी नांखीए. खात्री करवी होय तो सिंहसरायने पुनीने पनी बुद्धिशाली होयते एनी बेझ करजो. ॥ ११॥ जो ए हुकम आपे तो एक मुलिए पर्वतना पण अमे सो टुकडा करी नांखीए. वली कोनी माए शेर सूंग खाधी ने के एनी बेड करे.
पंखी पेखी म नूलशो रे, सु॥ एहजे श्रलोलिक कोय ॥ ५० ॥ एम नट वचने मंत्रवीरे, ॥ सु ॥ रह्यो अणबोल्यो होय ॥ ५० ॥जे॥१३॥ लीलावती मन राखवा रे, ॥ सु०॥ कहे नटने मंत्रीश ॥ पं0 ॥ देखा
मी एह कुकमो रे, ॥ सु० ॥ पुरवी पुत्री जगीश ॥ पं० ॥ जे० ॥ १४ ॥ अर्थ ॥ नटराये कयुंके ए पक्षी एम देखी जुलावो खाशो नही. ए तो अलोकिक कोइ जीवने. एवा नटनां वचनो सांजली मंत्री धूप थइ गयो. ॥ १३ ॥ पनी मंत्रीए नटने कडं के लीलावतीना मननुं समाधान करवा ते पक्षीने मने श्रापो. पुत्री लीलावतीना मनमां तेने जोवानी होंश तेथी तेणीने देखाडी तमने पालो सोंपीश. ॥ १४ ॥
जो विश्वास श्रावे नहीं रे, ॥ सु० ॥ तमे राखो मुज पुत्र ॥६॥ राखी घमी एक कुकमो रे, ॥ सु० ॥ पालो सोपशुं अनुबुत्र ॥ पं०॥जे०॥१५॥ समज्यो नट सुत मंत्रीनो रे, ॥ सु० ॥ ले श्राव्यो निज धाम ॥ ५॥
मुक्यो लीलावति संनिधे रे, ॥ सु० ॥ पंखी पिंजर ताम ॥पंगाजे॥१६॥ अर्थ ॥ जो विश्वास न आवतो होय तो तेना बदलामां मारा पुत्रने तमे राखो. एक घडीलर कुकडाने राखीने पनी तरत पाने लावी आपीश ॥ १५ ॥ पनी नटराय मंत्रीने पोताने स्थानके लश्ने श्राव्यो भने सीलावतीनी पासे कुर्कटनुं पांजरूं सोप्यु ॥ १६॥
देखी पिंजर हरखी घणुं रे, ॥ सु० ॥ रोष टल्यो तत्काल पं०॥ त्रीजा
उहासनी मोहने रे, ॥ सु० ॥ कही सत्तावीशमी ढाल ॥ पं० ॥ जे० ॥ १७ ॥ अर्थ ॥ पांजरा मध्येना पक्षीने देखतांज लीलावती घणो हर्षपामी अने तेनो रोष तत्काल शमी गयो. त्रीजा उपासनी सतावीशमी ढाल मोहनविजयजीए कही. ॥ १७ ॥
॥दोहा॥ कहे वचन लीलावती, रे रे पंखीराज ॥ विण अवगुण तें मुज थकी, वेर वसाव्युं श्राज ॥१॥ दिसे बाहिर फूटरो, पण कमवो बालाप ॥ तें मुज कीधो पियु विरह, ते किहां बुटीश पाप ॥२॥
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