SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 237
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ चंदराजानो रास. अर्थ ॥ तमे मानो के न मानो पण लोको कहे के चंदराजाने तमे गुप्त राख्यो . तमे मोटा राज्यासने घडी बेगंडगे पण तेम करवं ते नोकरवादी जेवू माटे ते बहु सारूं नथी. ॥ ५॥ वीरमतीए लोकने जे अशाता ती हती तेनुं सर्व कारण जाण्युं परंतु तेणीनु मन लेशमात्र पलट्युं नही. मंत्रीए चानक लागे तेवां घणां वचनो कह्यां परंतु पावैयाने जेम पानो चडे नहीं तेम तेने पण कां असर नही. ॥६॥ कहे वीरमती सुणरे मंत्री, में तो चंद नथी राख्यो यंत्री ॥ वांक ए डे पण सवि तारो, केम अवगुण गाय तुं मारो ॥७॥हण्यो चंदजे हतो मुज प्यारो, तुज सरखो नहीं कोई हत्यारो ॥ कहेवो थ श्राव्यो माह्यो, वली शुं करवा तुं उमाह्यो ॥ ७॥ अर्थ ॥ वीरमतीए कडंके हे मंत्री में कां चंदराजाने कबजे राख्यो नथी. ते बाबतमा सघलो तारो वांक. तुं केम मारा अवगुण ज्यां त्यां गायने? ॥ ७॥ मारा वहाला चंदने तेंज हण्यो. तारो जेवो को हत्यारो (पातकी ) नश्री. वली मारी आगल श्रावी केवो डाह्यो अश्ने वातो करे अने कहेके हवे तुं शुं करवा धारे. ॥७॥ बहु दीन थया वाततो श्रमे लाधी पण राखी में ताहरी बाधी ॥ हूं लुमीतो तुं श्यो रूडो, एक उरमुख बीजो कूडो॥ ए॥ जो श्रव गुण गाश्श तुं मारो, उखेलो उखेलीश हुं तारो ॥ चुए वादो वादे कहेवा, कोना नलीथाने कोना नेवा ॥१०॥ अर्थ ॥ मारा जाणवामां श्रा वात बहु दिवस अया श्रावी, परंतु तारी लाज जालववा में ते बगनीवात राखीने. तो तुंमीवं परंतु तुं शुं सारो ने ? एकनुं मोढुं जेवा जोगनथी अने बीजो महाकपटी, एवो घाट थयो .॥ ए॥ जो तुं मारा अवगुण गाइश तो हुँ तारे माटे बोलवामां कचाश राखीश नही. बहु वाद विवाद करी लवारामां सारनश्री. कोश्नां नेवां चुवेतो कोश्नां नली चुवे ज्यां त्यां विप्रो. ॥१॥ कहे मंत्रीमाता एम कां नाखो, थया घरडा पण समज न राखो॥ में नृप हण्यो तेहनो को साखी, एम जीवती न गला ए मांखी ॥ ११॥ बाइ बोल विचारी ए शुं बोल्या, केम वाहोबो एम श्रण तोल्या ॥ काढशो खोटे काढण केहो, तमे कांश्क प्रनुथी तो बीहो ॥ १२॥ अर्थ ॥ मंत्रीए कह्युके हे राजमाता आवु शुं बोलोगे? हवे वृक्ष थयागे, कांश समजण राखो तो ठीक. में राजाजीने मारीनांख्या एवातमां को सादी हशे के नही! शु जीवती मांखीतो गलाशे नही ? ॥११॥ हे माताजी ! आम वगर विचारे शुं बोलि नांखोगे. आतो तोड्याविना फेंकवा मांड्या जेवू करोगे. खोटो वांक काढी शुं लान काढशो. कांश परमेश्वरनीतो बीक राखो. ॥ १५॥ एह शीखनी वात कह्या माटे, तमे की, खूण घणुं श्राटे ॥ जाएयु में तमे थाशो राजी, पण तमे खेच्या उलटी बाजी ॥ १३॥ माता एतो रूमी नही नासा, एम कीजे नही नानी हासा ॥ हुं नृप हणुं केने बहाने, बार बोलोए एवं जे को माने ॥ १४ ॥ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy