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________________ १४६ तृतीय उल्लास. ॥दोहा॥ थयो प्रजात उग्यो तपन, ते कपिला तेणीवार ॥ घरथी बाहिर निकली, करती निपट पोकार ॥ १॥धा धा को जे, होवे विद्या पुष्ट ॥ थयो कनकध्वज कुमरनो, तनु सरोग सकुष्ट ॥२॥ अर्थ ॥ प्रातःकाल अयो अने ज्यारे सूर्य उग्यो ते वखते पेली कपिला धाव्ये घरनी बाहेर नीकलीने मोटा पोकार करवा मांड्या. ॥ १ ॥ को विद्याथी पुष्ट होय ते वारे धाजो श्रा मारा कुमार कनकध्वजनी काया कोडना रोगवाली अश् गइ. ॥२॥ श्राव्यो हिंसक धसमसी,तेम वली सिंहल नूप ॥ कुष्टीनी माता तेमज, सुतनो निरखे रूप ॥३॥ को रडे, को पडे, कोश सरज करे शिश ॥ को करथी गती दणे, अहो कपट जगदीश ॥४॥ अर्थ ॥ ते सांजलतांज हिंसक मंत्री धसमसतो दोडी आव्यो. ते पनी सिंहल राजा अने कुमारनी माता श्रावी. माता पण पुत्रनुं तेवु कोमीयुं रूप निरखे . ॥३॥ कोशोवा लाग्युं, कोश पडता मुकवा लाग्यु कोइ मस्तकने पगडी धुलवालुं करवा लाग्युं अने हाथवझे बाती कुटवा लाग्यु. अहो प्रनु! कपट केतुं छे !॥॥ माता रूदन करी कहे, जंचे स्वर उत्सूत्र ॥ ए विष कन्या पापिपी, कांतुं परण्यो पूत्र ॥५॥ तात कहेरे जात तुज, किहां गयो ते रूप ॥ जे जोवाने श्रावता, घणा विदेशी नूप ॥ ६ ॥ अर्थ ॥ कुमारनी माता जंचेस्वरे रुदन करती मिथ्या बोली के, अरे पुत्र, आ विष कन्याने तुं क्याथी परण्यो ? ॥ ५॥ पिता सिंहल राजाए कह्यु, हे वत्स, ते तारं रूप क्यां गयु ? के जे सुंदर रूपने जोवाने देश विदेशना घणा राजा आवता हता. ॥६॥ ए कन्या श्रण जाणते, में परणावी केम ॥ वेरण पूरव जन्मनी, कनक विटंब्यो एम ॥७॥ उनी निसुणे प्रेमला, पामे अच रिज चित्त ॥ दी नही तल जेवहुं, बोल्या मांहि वित्त ॥ ७॥ __ अर्थ ॥ अरे श्रावी कन्या में श्रजाणे केम परणावी ? एतो पूर्व जन्मनी वेरण थइ. के जेणे था कनक ध्वज कुमारने आवी विडंबना पमाडी. ॥ ७ ॥ प्रेमला उनी उनी ते सांजले ने अने मनमां आश्चर्य पामेले. तेमना बोलवामां तलना दाणा जेटलुंपण वित्त तेना जोवामां आव्युं नहीं. ॥ ७॥ ॥ ढाल आउमी॥ थाहरां महोला उपर मेह ऊबूके विजली हो लाल ऊबुके विजली ॥ ए देशी॥ पोहोती खबर तुरत कन्याना तातने हो लाल ॥ कण्॥ श्रावी निरख्यो सकुष्ट तेणे जामातने हो लाल ॥ते॥रोतां राख्या सर्व पु श्रवदातने हो लाल ॥ यु॥ पण जोलो नूपाल पाम्यो न वातने हो लाल॥ नार॥ Jain Education International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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