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________________ . चंदराजानो रास. कुवली वाग पमीजव, तव रेवंत अंदन ॥ थंजपरें थई ऊनो महिपति पाम्यो श्रचंन ॥ वक्र शिक्षित ते जाण्यो, नाण्यो रोष प्रकाश ॥ ताण्यो अति थपिडाण्यो, फोकट कीध प्रयास ॥७॥ - अर्थ ॥ तत्काल घोमानी लगाम पडीगइ एटले तरत ते घोडो दंन रहित श्रइ स्तंजनी जेम उत्तो रह्योते जो राजा आश्चर्य पामी गयो. घोडाने विपरीत शिक्षावालो जाणी मनमां रोष श्राव्यो नहीं अने विचार्युके अरे में अजाणपणे तेने खेंची ताणी था बधो फोगट प्रयास कर्यो ॥ ७॥ सकृप तवनृप ऊतर्यो, बांध्यो हय वटबांहि॥ पाणी पीवा कारणे, पेठो पुष्करणी मांहि ॥ जलपूरी ससनूरी, नूताटंक समान। घटित जटित बहु फटिकना, निवम निवड सोपान ॥ ॥ अर्थ ॥ पनी राजा दयालु थइ नीचे उतर्यो अने ते अश्वने वडनी बाया नीचे बांध्यो. पोते पाणी पीवाने वापिकानी अंदर उतर्यो. ते वापिका जलथी परिपूर्ण हती. जाणे पृथ्वीरूपी स्त्रीनां श्राकोटां होय तेवां घडेलां अने जमेलां तेनां फटिकनां घाटां पगयी हतां. ॥ ॥ विमल कमल जल उपरें, परिमल बहुल प्रकार ॥ गुण लीणा वर कीणा, प्रीणा हिरेफ ऊंकार ॥नफरीसम सफरी तिहां, अविआर फरीय अनेक ॥ पंथ श्रम मंथर पथिकने, पुरथी करे जलरेक॥ए॥ अर्थ ॥ तेना निर्मल जलनी ऊपर बहु प्रकारनो सुगंध पसरी रह्यो हतो. जेमां गंध गुणमां लीन एवा मधुकरो त्रीणा स्वरे झंकार करी रह्या हता. वली ते उपर मोटी माउली अनेक रीते स्फुरणायमान यती हती अने मार्गना श्रमश्री मंद श्रयेला मुसाफरोना श्रमने पोताना पुंउमाथी जल सिंचन करती हती॥ए॥ मंद समीरने बंदे, उदित सानंद तरंग ॥ प्रगटेजास प्रसंगथी, अंग सुरंग अनंग ॥ सीतल बाया माया, माय सरखी तेहा॥ निरखी नयणे हरख, नरवर पाम्यो नेह ॥ १० ॥ अर्थ ॥ मंद मंद वाता पवनना योगयी ते वापिकाना तरंगो आनंद सहित उदित अता हता. जेऊना प्रसंगथी अंग उपर रंग करतो अनंग (कामदेव ) प्रगट श्रतो हतो. आवी माता जेवी तेनी शीतल - यानी मायाने नयनश्री नीरखीने राजा अत्यंत प्रसन्न श्रयो ॥ १० ॥ विधिपूर्वक जल पीधु, कीधुं मऊन तेम ॥ जलक्रीडा तजी व्रीडा, कीधी पूरण प्रेम॥श्रति श्रानंदे नरीदे, पीधो पद्ममकरंद ॥ तरण चरण क्रमणादिक, खेले नव नव बंद ॥ ११ ॥ अर्थ ॥ राजाए विधिपूर्वक जलपान करी तेमां स्नान कयु. श्रोमीवार खजा गेमी पूर्ण प्रेमथी जलक्रीड करी पनी अति आनंद पामी नरपतिए कमलनो मकरंद (रस) दीधो अने तरवानी अने चरण क्रमण विगेरे क्रीडाथी नव नव रंगे खेलवा लाग्यो ॥ ११ ॥ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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