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________________ ११७ द्वितीय उल्लास. __ अर्थ ॥ मोहन विजये बीजा नसासनी आ एकवीशमी सुंदर ढाल कहीजे. चंद राजानी जावी कथा चागल अति रसिली बे. ॥ १७ ॥ ॥दोहा॥ वचन सुणी वनिता तणां, चिंते चंद नरेश ॥ वांक नही वनिता तणो, वांक विमात विशेष ॥१॥ एकज रजनी संगते, नारी थ निःशंक ॥ जे कांश चरित्र न जाणती, वदती वचन श्रवंक ॥२॥ अर्थ ॥ वनितानां वचन सांजली चंदराजा चिंतववा लाग्यो के, ा स्त्रीनो वांक नथी, पण आमां विमातानो विशेष वांक बे.॥१॥ एक रात्रिनी संगतथी था स्त्री शंका वगरनी अश् गर नहीं तो श्रा स्त्री कांश स्त्री चरित्र जाणती न हती अने वांकां वचन बोलती पण न हती. ॥२॥ लाग्यो संग विमातनो, तेणे पलटाणी नारि ॥ जेम विष होय बरासथी, नालिकेरने वारि ॥३॥ पुःसंगतिथी साधुजन, पामे विकृति विकार ॥ यंत्रघटी संगत थकी, जबरी सहे प्रहार ॥४॥ अर्थ ॥श्रा स्त्रीने अपरमानो संग लाग्यो, तेथी पलटाइ गइ. जेम बरासनो नालीएरना जलमां संबंध श्रवाश्री विष थाय बे, तेम आयु. ॥३॥ नगरी संगतथी सऊन पण विकार पामे वे. घटीयंत्रनी संगतथी कालरने प्रहार सहन करवो पडे ॥४॥ पुष्ट संग अंगार सम, रस विरसे एक रंग ॥ श्याम करे शीतल हुतो, जष्ण तपावे अंग ॥५॥ नारि, वारि, तरवार, सम नेत्र, तु षार, नरेश ॥ जे जेम वाले तेम वले, वालणहार विशेष ॥६॥ अर्थ ॥ 5ष्ट माणसनो संग अंगारा जेवो . ते एक रंगी रसने विरस करी नांखे . जो अंगारो शीतल होय तो अंगकालु करे अने उनो होय तो अंगने तपावे . ॥ ५॥ स्त्री, जल, तरवार, नेत्र, घोडो, अने राजा एटला जेम वलावनार होय तेम वले बे. बलावनारनी बलिहारी जे. ॥६॥ प्राणनाथ कहे हे प्रिये, मूको नारि चरित्र ॥ रातरम्या किहां श्राजनी, पेहेरी वेश विचित्र ॥७॥ नोलववा पिउ नामिनी, कल्पित कहे अवदात॥अवधारोजी विनवू, राततणी जे वातजा अर्थ ॥ प्राणनाथे का, हे प्रिया, हवे स्त्री चरित्र करवा जोमी द्यो. आवो विचित्र वेष पेहेरीने आजनी रात्रि क्या रम्यां. १ ॥ ७ ॥ पोताना प्रियने नोलववाने नामनीए एक कल्पित वृत्तांत कहेवा मांड्यो. हे ! नाथ, हुँ रातनी जे वार्ता कहुं, ते ध्यानमां घ्यो.॥७॥ ॥ ढाल बाविशमी॥ ॥ सलूणी योगणी रुडीवे ॥ एदेशी ॥ गिरि वैताढ्य विशाला नगरी, मणिप्रज खेचराधीश ॥ चंदलेखा तस गेहिनी, अतिविलसे सुख निशदिश ॥ १ ॥ सखुणा सुणजो नारि चरि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005375
Book TitleChand Rajano Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1905
Total Pages396
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size17 MB
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