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________________ (१३) गंती निधि होय ॥॥ नवगंगलाठी मुजस,दस गंती दे सिदि॥ चारंगुल वधती ग्रही,एणे लाठी नृप रिक्षि॥ ॥ ढाल पांचमी ॥ राग सारंग मल्हार ॥ .. ... करकं पासे हतो,तिहां ब्राह्मण पण एक हो। ब्राह्मण ॥ साधु वचन बेहु सानयां, लागी चूप प्रत्येक हो ॥ ब्रा० ॥१॥ दंम न देखें तुजनें माहरो, कहे क रकंफु बाल होना चालि जाश्यां आपण चउतरें, हूं धरती रखवाल हो ॥ ब्रा० ॥ २ ॥ दंम० ॥ चार अंगुल धरती खणी, ब्राह्मणें लीधो दंम हो॥ ब्रा० ॥ करकं फोंटी लीयो, जगडो लागो प्रचंम हो॥ब्रा०॥ ॥३॥ दंम०॥ नगरी गया बे ऊगडता, चवटीये कियो न्याय हो ॥ब्रा०॥ रे बालक ब्राह्मण नणी, ला ती दीये पुण्य थाय हो ॥ब्रा०॥ ॥ दंम०॥ कहे कर कंफ हूं झुं नही, राजपामीश अनिराम हो ॥ब्रा०॥ पंच हसी कहे एहनें,तुं देजे एक गाम दो ॥बा०॥५॥ दम ॥ ऊगडो नांग्यो एणी परें,दंम लि करकंफ हो ॥ ब्रा०॥ कोप कीयो ब्राह्मण मति, मारी करां शत खंम हो ॥ब्रा॥६॥दंगा करकंफु माता पिता, नाशि गया ततकाल हो ॥ब्रा०॥ नगर कंचनपुर नोयरे,सूता सरोवर पाल हो ॥बा॥ ७ ॥दम०॥ ढाल नणी ए. Jain Educationa Interational For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005374
Book TitleKarkanduadik Char Pratyek Buddhno Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages104
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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