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(१२) ॥ ढाल बाठमी॥ ॥ मनमोहन लाल ॥ ए देशी॥ ॥ कुत्सित रूप बीहामणुं ॥ कहो केवली लाल ।। माथु महोटुं तीब रे॥ कहो केवली लाल ॥ कपिल केश आंख चीपडी ॥ कहो ॥ वचनकटुक जिम नींब रे ॥ कहो॥१॥ नाक ब कान सूपडां ॥ कहो ॥ लां बा हो हलकंत रे॥ कहो ॥ श्याम वदन दंत वंकड़ा ॥कहो । खर जेम त्राडुकंत रे॥ कहो ॥२॥ केहने दी नवि गमे ॥ कहो । गर्दन मुह जाणे पूड रे ॥क हो ॥ महिष कंध मातो घणो ।। कहो ॥ सूरवाल दा ढी मूब रे ।। कहो ॥ ३ ॥ कुंण करम कीधां तेणे ॥ क हो ॥ जेहथी एहवू कुरूप रे ॥ कहो ॥ उपकारी सो हम कहे ॥ कहो॥ तेहनुं सर्व सरूप रे ॥ कहो ॥४ ॥ पंच महाव्रत सूधां धरे ॥ कहो ॥ सौम्यवदन सुक माल रे ॥ सुणो धारणी नंद ॥ करे रक्षा उकायनी॥ सुणो॥ जेम पाले माय बाल रे ॥ सु० ॥५॥ ममता माया नवि करे ।।सुणी ॥ टाले दूषण बायास रे ॥ Kा चारित्रथी के नहि रे ॥ सु० ॥ परिसह देखी याल रे सु०॥६॥ उनाले से आतापनारे ॥ सु॥
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