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________________ (५६) रे, दान तणे सुपसाय ॥ नाम रघु त्रिदुं वनमा रे, मान्यो श्रेणिक राय ॥कतो० ॥१४॥ सखरी साते पदमिणी रे, नोगी नमर सुख लीन ॥ जयरंग ढाल शोहामणी रे, वीश उपर थश्तीने ॥ कठो॥१५॥ ॥दोहा॥ ॥सीनो नीनो लीलमां, रहे सुखी दिन रात ॥ हवे सनिलजो चोंपलं, धरम करमनी वात ॥१॥ ॥ ढाल चोवीशमी॥ काची कली अनारकी रेहां, नमर रह्यो ललचाय ॥ मेरे ढोलणाए देश। ॥तिण कालें ने तिण समे रेहां, जंगम तीरथ जेह॥ श्रीमहावीरजी ॥ तीर्थ नाथ त्रिजुवन धणी रेहां, नांजे सयल संदेह ॥ श्री० ॥ १ ॥ पाप टले प्रनु पेखता रेहां, नाम तणे बलिदार ॥ श्री० ॥ चिं तामणि सुरतरु समो रेहां, वंबित फल दातार ॥ श्री० ॥२॥ सात हाथ प्रनु शोजता रेहां, धन्य जे लोचन दीठ ॥ श्री० ॥ चरण कमलनी रजें करी रेहां, करता पवित्र नूपीत ॥ श्री० ॥ ३ ॥त्रीश सहस सवि साधवी रेहां, चन्द सहस्स अगार ॥ श्री० ॥ गौतम स्वामी प्रमुख सहु रेहां, गणधर सा थें अगीयार ॥ श्री० ॥४॥ सती यतीश्वर महाव्रती Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005368
Book TitleKayvanna Shethno Ras
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year
Total Pages82
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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