________________
(५५) रे, एक चुंबी ये गाल गोमा एक कहे नेला बे सीने रे, जिमगुं बापानी साथ॥ बीजो कहे जिमण न धु रे, देई मुख आडो हाथ ॥ ॥ ५॥ एक कहे खास्यां लाडुवा रे,एक कहे खीर खांम॥ एक कहे सीरा लापसी रे,महोटी थाली मांग ॥ को ॥६॥ एक कहे नेता बेसस्यां रे, आफै सघता आज ॥ बापो सदुनें सारिखो रे, एक पंथ दो काज ॥ कठो० ॥ ॥७॥न्हानडीयाने बोल. रे, लीधी सघली सार॥ कयवन्नो प्रगट हून रे, मंत्री बनयकुमार ॥ोगा ॥ ७॥ देखी धूजी ते मोकरी रे, वाय फकोल्युं ज्युं जाड ॥ मोसी पोसी बापडी रे, जाणे पडी चोरधा ड॥ कठो० ॥॥ धृतारी ते मोसती रे, घरथीका ढी कूट ॥ हरखी चारे पदमिणी रे,पाप कटथु ख बूट ॥ कठो० ॥ १० ॥ हेजें मली निज नाहमें रे,ट लीयां सुख दोहग ॥ बेटा चारे फूटरा रे,प्रगट्युज श सौनाग्य ॥कगे॥११॥ कयवन्नो सुख नोगवे रे, रमणी सात अनूप ॥ इंश चंद पण देखता रे, थाणे मनमां चूप ॥ को० ॥ १२ ॥ दानें तूसे देवता रे, दाने दोलत होय ॥ दान वडुं संसारमा रे,जश गावे सहु कोय ॥ कठो० ॥ १३॥ कयवन्ने सुख नोगव्यां
Jain Educationa International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org