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(५४) टो हो मोतीनो दार के ॥धन ॥ १५ ॥ हियर्नु हेजें पूरी, नसें दीगे हो जरतार सरूप के ॥ ढाल बावीशमी जयतसी,मन मोयुं हो देखी रूप अनूप के ॥धन ॥ १६ ॥
॥दोहा॥ रमता हसता खेलता, चारे न्हाना बाल ॥ मू रति पासें थावीया, हरख्या नयण निहाल ॥ १ ॥ ॥ ढाल त्रेवीशमी। बादु बलीनी॥ बालु दणरी चाकरी रे, बालु दखणीरो घाट ॥ साहिब पोढे
जातिमा रे, धणनू बाले खाट ॥ नमर - लिंजालारां लेजो राज ॥ ए देशी ॥
बोले बालक बोलडा रे, मुण मुण मीठी वाणी॥क्युं बेग इहां श्रावीने रे, रूता मनरा दाणी ॥१॥को बाबाजी घरे आज्यो अाज, थाने माउ रोजीरी बाण, थाने दादोजीरी थाण, थेंतो म करो खांचा ताण, थेंतो नाशि वाया इण गण, यांने तेडी जास्यां प्राण ॥ तो० ॥२॥ कोई ताणे यां गुली रे, कोई ताणे हाथ ॥ कोई पग मूके नहीं रे, कोई घाजे बाथ ॥ कठो॥३॥ एक कहे बापो माहरो रे, बीजानें ये गाल ॥एक बेसे खोले भावीने
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