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(१३) लाल ॥ मुख ॥ २ ॥ शंकाणी सुकुलीणी दोजी, सतीय शिरोमणि चिंतवे लाल ॥ स ॥ ए पर पुरुष प्रवीण होजी, किम थाव्यो वही आंगणे लाल ॥ किम ॥ ३ ॥ जा तुं ताहरे गम होजी,पूरी अपूरी करी कहे लाल ॥ पू० ॥ नहीं पर पुरुषांरो काम होजी, ए घर ले सतीया तणां लाल ॥ ए० ॥ ३ ॥ सरणाई सुहडा होजी, केशर केश नुर्यगमणि लातें ॥के०॥ चडशे हाथ मूया होजी, सतीय पयोधर के पण धन लाल ॥ स० ॥ ५ ॥ बीजा नर सदु वीर होजी, बोलु न बोल बीजासेंती लाल ॥ बो० ॥ सगी नणदीरो वीर होजी, कूड. कहूं तो बाखडी. लाल । कू॥६॥ दु प्रिया बुं तेह होजी, कयवनो बोले हसी लाल ॥ क० ॥ धन तुं राखी रेह होजी, चंद नामो तें चाढीयो लाल ॥चंद॥७॥ दोगे घाट सुघाट होजी, सासुरो जायो सही लाल ॥ सा०॥ दुरंग गह गाट होजी. कामिनी तन मन विकसीयां लाल ॥का० ॥ ॥॥ जिम अति वूठे मेह होजी, नवनव रंग धरती धरे लाल ॥ न० ॥ जयश्री तिम पीयु नेह दोजी, नवमी ढाल जयरंग नणे लाल ॥ न० ॥ए॥
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