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विनयविलास क'न कमाया ॥ क्युंकर जा मिलुं सांकुं, व्याया कबु न लाया ॥सुन॥॥ विनयवती तुं खरी पियारी, जो अब करी हुशीयारी ॥ मुंदसी करे तो मिलु सांसुं, अविहड.करं श्रयारी ॥ सुन० ॥५॥इति॥
॥ पद सत्तरमुं॥ राग उपर प्रमाणे ॥ काया कामनी बेलाल, सुनी कहे जिऊरा ॥ मेंहु बंदी बेलाल, तुं मेरा पिऊरा॥ पिऊरा सुनिबे करूं बिनती, म करी पोरसें नेहरे ॥ दो दिवसकी या दाम दोलत, देत लिनुमें बेहरे ॥१॥ तुं गुमास्ता बेलाल, अपने शेउका ॥ ले जा यगा बेलाल, हुकमी ठेठका ॥ ठेठका आवे हुकम जब तुहीं, पलक श्क न शके रही। तो कहा मूरख करे धंधा, अंते तेरा कबु नहीं ॥२॥हो ने खुश्रा बेलाल, अपने सांश्का, नाहु चोरीए बेलाल, नाहक पाश्का ॥ पाश्का नाहक चोरी उसका, जब नवि देत जबापरे ॥ तब ताहिकुं दे दूर दोऊख, दोष देखे आपरे ॥३ ॥ सोदा हकका बेलाल, एसा कीजीएं, होवे फायदा बेलाल, साहिब रीजीएं ॥ रीकीएं साहिब युं निवाजे, आप फुःखतें उझरे ॥
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