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________________ विनयविलास ६ए टेक ॥ कोउ जात हे दोनु जोरे, पिडला श्रगिला सुंहास्या॥श्रजब॥॥श्राय नजीक मले जब पीबला, तंब श्रगिला रिहु दोरे ॥ पिडला जोर स जोख्या चाहे, अगिला दोरतहि दोरे ॥ अजब० ॥ ॥॥खोड खाडका चेन बिचारे, श्रागिला थांखो मुदि मगें ॥ पिबला बापरा लिनु छिनु अटके, कयरे ऊंखर जाय लगे ॥ अजब० ॥ ३ ॥ तब प्रजुने एक उर पाया, उने जाय श्रागिला बांध्या ॥ पि. बला तबथें रहा उदासी, साहिबने बहु सुख साध्या ॥ अजब॥४॥ एक नीच श्रति एकहि मध्यम, एक उत्तम प्रनुकुं प्यारा ॥ या तिनोकुं बिनय पिबान्यो, रहो अधमसेंतीन्यारा ॥थजब० ॥५॥ति॥ ॥ पद पन्नरमुं॥ ॥राग नेरध ॥ जागो प्यारें नयो सुबिहान, श्री तीर्थकर उदयो जान ॥ जागो ॥ ए टेक ॥ पाए जविक मन कमल बिकास, उड गए औगुन नरम उदास ॥जागो॥॥नयन उघारी बिलोको कंत,मोहतिमिर अब श्रायो अंत ॥प्रगटी ज्ञान कलाकी ज्योत, मुगति पंथ अब जयो उद्योत ॥ जागो ॥२॥सुप Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005365
Book TitleVairagyopadeshak Vividh Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1904
Total Pages164
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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