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विनयविलास
॥अथ। ॥श्रीविनय विलास प्रारंभः॥
॥ पद पेहेढुं॥ ॥ राग जयजयवंती ॥ सजन सलूने लाल, चरन न बोरुं ताल, मेरे तो अजब माल, तेरोश जजनहे ॥१॥ दोलत न चाहुं दाम, काम सुन मेरे काम, नाम तेरो श्रागे जाम, जिउको रंजन हे ॥२॥ तेरो हुं श्राधीन लीन, जल ज्युं मगन मीन, तीन जग केरो प्रनु, फुःखको नंजन हे ॥३॥ नानि मरु देवानंद, नयन श्रानंदचंद, चरन विनय तेरो,अमियको अंजन दे ॥४॥
॥पद बीजुं॥ ___॥राग कनडो दरबारी ॥ या गति बोरदे गुन गोरी ॥तु गुन गोरी० ॥ टेक ॥ श्रचरिज एडं मिसे शशि पंकज, बिच जमुना वहेलोरी॥ या गति॥ ॥१॥चल गिरनार पिया दिखलावू, बहुरि जोरि रति होरी ॥ मुगति महलमें मिले राजुल नेम, विनय नमे कर जोरी॥या गतिम् ॥२॥
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