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________________ जश विलास ॥ पद योगाचाली शमुं ॥ ॥ राग शोनी ॥ चिदानंद विनासीदो, मेरो चिदानंद विनासी हो ॥ टेक ॥ कोर मरोर करमकी मेटे, सहज खजाव विलासी हो ॥ चिदानंद० ॥ ॥ १ ॥ पुल मेल खेलजो जगको, सोतो सब दि बिनासी हो ॥ पूरन गुन अध्यातम प्रगटें, जागे जोग उदासी हो ॥ चिदानंद० ॥ २ ॥ नाम जेख किरिया - कुं सबदी, देखे लोक तमासी हो ॥ चिन मूरत चेतन गुन चिने, साचो सोउ सन्यासी हो ॥ चिदानंद० ॥ ३ ॥ दोरी देवारकी किति दोरे, मति व्यव - दार प्रकासी हो ॥ अगम अगोचर निश्चय नयकी, दोरी अनंत अगासी हो ॥ चिदानंद० ॥ ४ ॥ ना नाघटमें एक पिठाने, श्रतमराम उपासी हो ॥ नेद कलपना में जम मूल्यों, लुब्ध्यो तृष्णा दासी हो ॥ चिदानंद० ॥ धर्म सिद्धि नवनिधि हे घटमें, कहा ढुंढत जइ काशीदो ॥ जस कदे शांत सुधारस चाख्यो, पूरन ब्रह्म ज्यासी हो ॥ चिदा० ॥ ६ ॥ ॥ पद चालीशमुं ॥ ॥ राग दोरी ॥ दरी नारी टोले मिलि रंग हो For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org ३० Jain Educationa International
SR No.005365
Book TitleVairagyopadeshak Vividh Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1904
Total Pages164
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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