SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 35
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ जशविलास होरी ॥टेक॥फाग रमे तजी लाल, रंग होहोरी देत रकुं घेर रही ॥ रंगहो ॥ व्याह मनावन काज लाल ॥ रंग ॥१॥ ताल कंसाल मृदंगसुं ॥ रंग ॥ मधुर बजावत चंग लाल ॥ रंग ॥ गयब गुलाल नयन जरे ॥ रंग ॥ बश्न बजावे अनंग लाल ॥रंग ॥५॥ पिचकारी बांटे पीय ॥ रंग॥ जरी जरी केसर नीर लाल ॥रंग ॥ मार्नु मदन करती बटा ॥रंग ॥ अलवे उडावे अंबीर लाल ॥ रंग ॥३॥ योवन मद मदिरा बाकी ॥ रंग॥ गावत प्रेम धमाली लाल ॥ रंग॥ राचत माचत नाचती ॥रंग॥ कौतुकसुं करे श्राली लाल ॥रंगण॥ ॥४॥सोहे मुख तंबोलसुं॥रंग॥ मानु संध्यायुत चंद लाल रंग ॥ पूरित केसर फुलेखसुं॥रंग॥ जरत मेद ज्युं बुंद लाल ॥रंग ॥५॥ थण जुज मूल देखावती ॥रंग ॥ बाद लगावत कंठ लाल ॥ रंग ॥ कहे देवर परनो पीया ॥ रंग ॥ परना. बिन पुरुष उलंठ लाल ॥ रंग०॥६॥ रूख मिलित रहे वेलीसुं ॥रंग॥सागर गंगा रंग लाल ॥ रंग ॥ जान उगाने अजानवें ॥ रंग॥ किजं न करो त्रिया Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005365
Book TitleVairagyopadeshak Vividh Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1904
Total Pages164
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy