________________
जशविलास घहो घर रहो सुख लहो, उःख गमो मुझ समो रंग रमो रतियां ॥ सयनकी॥२॥ इति ॥
पद सत्तावीशमुं॥ ॥ राग काफी हुशेनी ॥ साहिब ध्याया मन मोहना, अति सोहना जवि बोहना ॥साहिबा टेक॥ आजतें दिन सफल मेरे, मानु चिंतामनी पाया ॥ साहिब० ॥ १॥ चोसमझे मिलिय पूज्यो, शानी गुन गाया ॥ साहिब० ॥ ॥ जनम महोछव करे देव, मेरुशिखर से श्राया ॥दरिको मन संदेह जानी, चरनन मेरु चलाया ॥ साहिब० ॥३॥ अहि वैताल रूप देखी, देवें न वीर खोजाया॥प्रगट जये पाय लागी, वीरनाम बुलाया ॥ साहिब० ॥४॥ इस पूजे वीर कहे, व्याकरन नीपाया॥ मोहिथी निशाल घरन, युंहिं वीर पढाया ॥ साहिब० ॥ ५॥ वरसी दान दे धीर, लेश् व्रत सुहाया ॥ सालतले ध्यान ध्यातां, घाती धन खपाया ॥ साहिब०॥६॥ लहि अनंत ज्ञान आप, रूप जगमगाया॥जस कहे हम सोश् वीर, ज्यौतिसुं ज्योति मिलाया ॥सा॥
Jain Educationa' International
For Personal and Private Use Only
www.jainelibrary.org