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________________ १०० झान विलास तुजसम नहिं कोई एहवो करेरी ॥ मीठो बोली हिरिदय पैसे, लाम करे बहु नांत परेरी ॥ ७॥ ॥ ५॥ सागरमें तुं था हव ताबे, पाडे गोतो देय टरेरी॥तुज कुटिलाका कवन नरोंसा, बोलतही तुं घात करेरी ॥ दू० ॥ ३॥ इहां सेती तुं दूर परीजा, इहां थारी मति नांह लहेरी॥चारित ज्ञानानंद रखवालो, श्रम प्यारी मोरे पास रहेरी ॥ दू० ॥ ४ ॥ ॥पद त्रेवीशमुं॥ - ॥ राग टोडी ॥तूंही पिया मन गमतो मिल्योरी, उर गेर मन नांहिं मिल्योरी ॥ तूं० ॥ टेक ॥ हुँ तोसुं कबु नहिं चाहूं, केवल अंगें रमन करोरी॥तूं॥१॥ केवल तनमय एकत नावो, मोसुं प्रेमें प्रीति करोरी ॥श्राप दृष्टि सखि आतम साथें, वात करो तम सुख वचरोरी ॥ तूं ॥२॥ मनुवो सुनकर घरनी बानी, पास वसारे प्रीत करेरी ॥ चारित ज्ञानानंद सहायें, वालो धीरज चित्त धरेरी॥तूं०॥३॥इति ॥ ॥पद चोवीशमुं॥ ॥राग टोडी ॥ प्यारे तम चगान सरोरी, शांति खमग तम तेग करोरी ॥ प्या० ॥ टेक ॥ धरम Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005365
Book TitleVairagyopadeshak Vividh Pad Sangraha
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1904
Total Pages164
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size5 MB
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