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________________ ३२ . शत्रुजय मादात्म्य. मां नक्ति, मुनिमां रक्तपणुं, दानमां हमेशनी वृत्ति, उत्तम आचारनुं चिं. तवन, पंच नमस्कारर्नु स्मरण, पुण्य जंडारोनुं नरवापणुं, नवरूपी समुप्रथी तरवापर्यु, उत्तम ध्यान, देव पूजन, तथा तप आदिक उत्तम कार्यों करवा. वली यहीं चतुर्विध संघसहित यात्रा करवाथी माणसो तीर्थंकरनी पदवीरूप लोकोत्तर फल मेलवे . या तीर्थमा यात्राथी उत्पन्न थयेला पसीनाने जे लु , तेज निष्पापी एवा निर्मल देहने पामे बे. वली था तीर्थमां जे माणसो यात्रालु लोकोने, नक्तिपूर्वक अन्न तथा वस्त्रादिकथी पूजे , ते विस्तीर्ण लक्ष्मीनां सुखने नोगवीने अंते मोदने जजनारा थाय . वली आ तीर्थमा जे माणसो जरा पण संकोच राख्याविनां घणुं शचित दान आपे , ते आनंदपूर्वक उंचे प्रकारे सुखी थाय . वली या तीर्थमां पोतानी शक्ति मुजब जे कं पुण्यनां कार्योंजत्तम बुद्धिवाला करे , ते ( कार्यो) कुकर्मोनो नाश करी, बन्ने नवोनी शुझिने माटे थाय . हे इं! एवी रीते संदेपथी या तीर्थमां करेलां दाननो महिमा कह्यो; हवे तीर्थजूत एवं जे रायण वृक्षा, तेनो महिमा तुं सांजल ? रुपनदेव प्रजुश्री जूषित थयेली, तथा दूधनी धाराने करती एवी श्रा शाश्वती रायण श्रज्ञानरूपी अंधकारनो दणमां नाश करो? आरायणनी नीचे नाजिराजानां पुत्र श्री रुपनदेवस्वामी समोसर्या हता, तेथी उत्तम तीर्थनी पेठे ते वंदनीक . आ रायणनां दरेक फल, दरेक पांदडां, तथा दरेक डालांप्रते देवालयो , माटे अजाणतां पण तेनां पत्रादिक बेदवां नहीं. नक्तिसहित चित्तवाला थश्ने, पानी प्रदक्षिणा करनार संघपतिनां मस्तकपर था रायण हर्षथी दूधने वर्षे जे; अने तेथी जाणवू के, ते संघपतिने आगामी कालमां शुजरूप थश्ने बन्ने नवोमां सुखकारी थशे; अने रीसथी जेनापर ते दूध वर्षती नथी, तेने हर्षादिकनी करनारी ते थती नथी. वली था रायणनुं जो सुवर्ण, रु, मोती, तथा चंदनादिकथी पूजन करवामां आवे, तो ते खप्नमां श्रावीने, सघर्बु शुजाशुन कही आपे डे. वली शाकिनी, नूत, वेताल तथा राक्षस श्रादिकथी जयजीत थयेलो माणस, खरेखर थारायणनी पूजा करीने ते दोषोथी मुक्त थाय बे. वली जे माणस श्रारायणनी पूजा करे , तेने एकांतरी, तरि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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