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________________ राजय मादात्म्य. र, दमा अने डाहापणथी मनोहर, बये दर्शनप्रते समदृष्टिवाला अने पराक्रमी . वली श्रहीं पुष्ट, तथा बहु दूधवाली गायो , तथा जेसोपण महा बलवान, शीगडांवाली, बंधनविनानी, तथा कोश् चोरी के हरी न शके एवी . वली श्रहीं धोडा उंचा, तथा चपल गतिवाला बे, बलदो खांधोयें करीने मनोहर ने, तथा संग्रामरूपी समुडमां बेट सरखा हाथी पण श्रहीं शोने जे. वली अहीं बीजा तिर्यंचो पण महाबलवान् थया थका परजातिनो मत्सर करनारा नथी, तेम ते जयथी उछिम थयेला नथी. वली अहींना नगरो मोटा अने ऊंचा किसाथी शोनितां थएलां , श्रने त्यां अरिहंत जगवाननां चैत्योपर रहेली ध. जाउँ तो श्राकाशने स्पर्श करे . वली श्रहींनां लोको जैन साधुनां मुखरूपी कमलमांधी निकलेला सिद्धांतनां सारथी पाप रहित, पवित्र तथा लक्ष्मीवंत . वली अहीं मनोहर तथा सघली वस्तुथी नरपुर, मेहेलो बे, तथा लाज मेलवता एवा त्यां वेपारी पण बे. ते सुराष्ट्र देशने मुकुट समान, तथा स्मरण करवाथीज पापोनो नाश करनारो, श्रा शत्रुजय प. र्वत बे. श्रानुं माहात्म्य केवलज्ञानथी जणाय, पण कही शकाय नहीं, तो पण हे देवें! तारा पुबवाथी हुँ ते तने कडं बु. वली ते माहात्म्य जा. णीने, अने शक्ति बतां पण, जो मौन करवामां आवे, तो मुंगानां रसनां खादसर थाय. वली त्रणे लोकनां ऐश्वर्यनां घर सरखा एवा था तीर्थनां नाममात्रथी पण जेम पार्श्वनाथनां नामथी सर्पनुं फेर जाय, तेम पापोनो नाश थाय. शत्रुजय, पुंडरिक सिझक्षेत्र, महाचल, सुरशैल, विमलाजि, पुण्यराशि, श्रीयः पद, पर्वतेंज, सुजम, दृढशक्ति, अकर्म, मुक्तिगेह, महातीर्थ, शाश्वत, सर्वकामद, पुष्पदंत, महापद्म, पृथ्वीपीठ, प्रजुपद, पातालमूल, कैलास, क्षितिमंडल मंडन, इत्यादि श्रा पर्वतनां एकसोने आठ नामो , ते सुधर्माखामीये बनावेला सपादलद माहात्म्यथी जाणी लेवां. एवी रीतनां था महातीर्थनां नामो, जे माणस प्रजातमां जणे बे, अथवा सांजले , तेने संपदा मले बे, अने तेनी आपदा नाश पामे . वली था शत्रंजय पर्वत सघला तीर्थोमां उत्तम तीर्थ, सघला प. र्वतोमा उत्तम पर्वत, तथा सघलां देत्रोमां उत्तम देत्र . युगनी आदिमां मोक्षने देनारुं था पेहेलु तीर्थ डे,अने बीजां तीर्थो तो तेनी पड़ी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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