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________________ सप्तमःसर्गः कार कर्यो. पड़ी तेमणे बाबु, वैचार, अष्टापद तथा सम्मेतशिखरपर पण संघ सहित यात्रा करीने उझार को. पड़ी तेणे पोतानां राज्यमां श्रावीने, त्यां पण क्रोडोगमे जिनमंदिरो कराव्यां, तथा तीर्थयात्रा करी. पनी एक दहाडो जरतनी पेठेज आरिसा जुवनमा पोतानां शरीरने जोता थका, अने संसारनी असारताने मनमां धारता थका ते दंडवीर्य राजा केवलझाननी संपदा पाम्या. पनी व्रत पालता थका, अने परनो उपकार करता थका ते दंडवीर्य महामुनि मोदे गया. एवी रीते था शत्रुजय तीर्थनो बीजो उझार करीने जरतना वंशमां थएला दंडवीर्य राजा मोद पाम्या. ___एवी रीते बीजो उद्धार जाणवो. हवे एक दहाडो ईशानें, ज्यां हेमेशां केवली अरिहंत विचरे , एवां महाविदेह क्षेत्रमा क्तिथी जिनेश्वरोने नमवा माटे गयो. त्यां सिंहासनपर बेठेला, तथा त्रण उत्थी शोजता प्रजुने स्तवीने, तथा नमीने ते तेमनी पासे बेठो. पडी प्रजु लोकोने आनंदकारी देशना देवा लाग्या के, जेम नवोमां मनुष्य नव, तथा घरोमां दीपक तेम सघला छीपोमां जंबूडीप श्रेष्ट बे. वली सर्व देशोमां सुराष्ट्र देश, तथा सर्व पर्वतोमां पुंडरिक गिरि उत्तम बे, केम के त्यां कीर्तनथी पण पापोने हरनारा श्री षनदेव प्रनु बिराजे . वली ते जरतदेत्र, तथा त्यांना मनुष्योने पण धन्य बे, केम के त्यां रहेला शत्रुजय तीर्थमां ते प्रजुने पूजे . वली हमेशां विमलाचल तीर्थने ध्याववाथी पापोनी शांति थाय बे, केम के, जो सूर्य नजदीक होय, तो शुं अंधकारनी प्रवृत्ति होय ? कोडो नवोमां पण पुलज एवं बोधिबीज शत्रुजय तीर्थमा प्रजुनुं ध्यान धरवाथी ततक्षण प्राणीने प्राप्त थाय . सर्व तत्वोमां जेम सम्यक्त्व तथा सर्व देवोमां जेम जिन, तेम सर्व तीर्थोमां उत्तम एवो शत्रुजय गिरि उर्लज डे. एवी रीतनी प्रजुनी देशना सांजलीने, ते तीर्थने जोवानी श्वाथी ईशाने शत्रुजय गिरिप्रते श्राव्यो. त्यां प्रजुने जोतां थकां, स्तवतां थकां, तथा जिनवाणीनुं समर्थन करतां थकां तेणे देवो सहित हा महोत्सव कर्यो. वली त्यां जिननक्तिनी पेठे, किंचित जीर्ण थएलां जिनमंदिरोनो तेणे दीव्य शक्तिथी उकार को. एवी रीते दंडवीर्य राजा पडी सो सा. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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