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________________ १९९४ शत्रुंजय माहात्म्य. शत्रुंजयी " नाम पडेलुं बे. या नदीनां जलनां स्पर्शथी कांति, कीर्ति, लक्ष्मी, बुद्धि, धृति, तथा समाधि धाय बे, अने सिद्धिर्ज वश थाय छे. वली हंस, सारस, चक्रवाक श्रादिक जे पहि पण या नदीना पाणीने स्पर्श करे बे, तेर्जने पापरूपी मेल चोंटतो नथी. वली या नदीनां पापीथी सर्व महारोगो नाश पामे बे; वली जे माणसो या नदीना कांठापर उगेलां वृक्षोना फलो खाय बे, तथा व माससुधि जे खानुं पाणी पीए बे, ते वात, पित्त, कुष्ट आदिक रोगोने क्रिडामात्रमां जीतीने सुवर्ण सरखी कांतिवाला थाय बे; वली या नदीनां जलनां स्नानथी शरी रमांथी पापो पण चाल्या जाय बे, त्यारे औषधोथी साध्य एवा वातपितादिकनी तो वातज शी करवी ? या शत्रुंजयी नदी स्पर्शथी पण सर्व तीर्थोनां फल देनारी, तथा सर्व पापोने हरनारी बे; वली हे चक्री ! जेनां पाणीनां स्पर्शथी शांतनु राजानां पुत्रो सुख पाम्या, एवा या नदीना हनुं तमो माहात्म्य सांजलो ? श्रा जरत खंडमां श्रीपुर नामनुं नगर बे, त्यां शत्रुने नाश करनारो शांतनु नामे राजा दतो; तेनी सुशीला नामनी स्त्रीए एक दहाडो स्वमां ति धूसर धूमकेतुने जोइने, ते वात पोताना स्वामीने तुरत क ही. अनुक्रमे ते स्वप्नने अनुसारे तेणीने कुलक्षणो पुत्र थयो; श्रने तेज वखते राज्यलक्ष्मीना मुख्य अंगरूप हाथीउनुं सैन्य नाश पाम्यु: वली फरीने पण तेणीने दुष्ट खप्तथी सूचित हीन पुत्र थयो, अने ते वखते घोडाउनुं सैन्य नाश पाम्युं. तेवीज रीते त्रीजो पुत्र थवाथी, जीवहिंसाथी जेम धर्म, तथा लोजयी जेम सर्व गुणो, तेम राजानी सर्व संप दा नाश पामी. चोथा पुत्रनी जन्मवार्ता सांजलतांज शत्रुर्जए सैन्य सहित श्रवीने ते श्रीपुर नगरने घेरो घाल्यो. त्यारे सघलो भंडार विगेरे क्षीण वाथी ते शांतनु राजा पोतानी स्त्री सुशीलाने तथा पुत्रोने लेइने रात्रि कंक नासी गयो. तेनां नील, महानील, काल, तथा महाकाल नामना ते चारे पुत्रो साते व्यसनोमां लीन थया. जुगार, मांसजोजन, मदिरापान, वेश्यागमन, चोरी, शिकार, तथा परस्त्रीगमन, ए नामनां सात व्यसनो उत्तम जनोए कडेलां बे. जुगारथी बीजां व्यसनो पण याय बे, माटे बन्ने लोकमां हितकारी जुगारनो त्याग करवो. वली 66 Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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