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________________ २९६ शत्रुजय माहात्म्य. हवे शुज दिवसे बाहुबलि, श्रीनाज, नमि, विनमि श्रादिक सूरिज, तथा सो आदिक देवो पण त्यां एकठा थया. ते वखते इंजना हुकमथी जक्तिवंत आलियोगिक देवो, गुरुए कहेलो पूजानो सामन तुरत लाव्या. पठी त्यां ते शषिए शांतिस्नात्रसहित द्वादशांगोमां कहेली विधिपूर्वक चैत्योनी तथा प्रतिमाऊनी प्रतिष्ठा करी; तथा संघसहित सूरिमंत्रथी पवित्र करेला वास अने श्रदतोने ध्वजदंडोपर तथा मूर्तिउपर तेए नांख्या. ते वखते त्या सर्व वाजिनोनो मंगलिक ध्वनि सर्वना कोंने पवित्र करवा लाग्यो. एवी रीते चक्रीए करेलो प्रतिष्ठा महोत्सव त्यां थयो, तथा अधिष्टायक देवो पण त्यां प्रत्यक्ष थया. पनी चक्रीए त्यां उत्तम मंत्रना उच्चारपूर्वक सुवर्णनां कलशोथी जन्मोत्सवनी पेठे प्रजुनुं स्नात्र कयु. पनी तेमणे कर्पूर, अगर, कंकोल, कस्तुरी, चंदन श्रादिकथी प्रजुनी प्रतिमाने लेपन कयु तथा साथे पोतानी कीर्तिथी जगतने पण लिप्त कर्यु: पनी चक्रीए ज्ञानी गुरुऊने जमणी बाजुए बेसाड्या, तथा साधवीउने अंतःपुरनी स्त्रीसहीत डाबी बाजुए बेसाडी. पली चंदन, मंदार, संतान, हरिचंदन, पारिजात, कल्पवृक्ष, मसी, बकुल, कमल, केतकी, मालती, जुझ, करवीर, शतपत्र, जासुद, तथा कल्हार प्रमुखना, तथा विचित्र प्रकारनी सुगंधिनां उदासथी खेंचाएला जमराए करेबुं ने स्पष्ट नृत्य ज्यां, एवां पुष्पोएं करीने, इंश तथा चक्री प्रमुखोए प्रजुनी पूजा करी. पढ़ी सर्व जनोए श्रदत, फल, धूप, दीपक, नैवेद्य, जल विगेरेथी पूजा करी. पठी हाथमां श्रारती धारण करता, तथा स्फुरायमान मुखवाला शुजारंजी चक्री, दिवसे उगता सूर्यसरखा शोजवा लाग्या. पडी इंड प्रमुखोए नवतापने बेदनारी तिलकनी श्रेणि करी. सर्व (श्रज्ञानरूपी) अंधकारने नाश करनारी श्रारतिने जमणी बाजुथी फेरवता चक्रीपर पुष्पोनी वृष्टि पडवा लागी,अने तेथी ते अत्यंत शोजवा लाग्या. वली तेनां हाथमा रहेलो, तथा एक शिखावालो मंगलदीवो, जगतमां दीपकसमान एकज था प्रजु बे, एम जाणे कहेतो होय नहीं, तेम शोजवा लाग्यो. ते वखते हर्षित थश्ने चक्रीए जे जे कार्य कर्यु, तेनुं फल तो चक्रीज जाणी शके तेम बे. पली कर्मोनी साथेज शरीरने नमावीने चक्रीए श्रीयुगादीश प्रजुने नमस्कार को. पड़ी रोमांचरूपी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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