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श→जय मादात्म्य. रांधेला, तथा सिझ करेलां नैवेद्योधी, रुपाथी, सुवर्णश्री, वस्त्रोथी तथा पुष्पमालाउँथी प्रथम प्रजाकरवी; तथा नक्तिथी स्वामीवत्सल, अने संघप्रजा करवी; तथा अनंत फल देनारं संगीत जिनमंदिरमा करवू. पडी त्यां महाधरोए तथा बीजा शुन्न श्राशयवालाउँये संघपतिनी स्त्री सहित, आलूषण, वस्त्र, तथा पुष्पमालाउथी पूजा करवी. पठी त्यां गुरुनक्ति करतां थकां संघवासीईए धर्मकथा सांजलवा पूर्वक रहे,. एवी रीते गुरुनी वाणी सांजली अत्यंत आनंद थएला चक्रीए विमलाचलनी पासे श्रावास को. पड़ी स्नान करी पवित्र थश, श्वेत वस्त्रो पहेरी, महाधरो तथा स्त्री सहित ते जिनमंदिरमां गया. त्यां अष्टापदनां (सुवर्णनां) पात्रोमांरहेलो पक्वानो, जाणे जरत पासे अष्टापद पर्वतनां शिखरो श्राव्यां होय नहीं, तेम शोजतां हता. पनी त्यां चक्रीए गणधर महाराजनी सादिये पुष्प, अक्षत, स्तुति विगेरेथी प्रनुनी पूजा करीने संगीत कयु. पबी गुरुए बतावेली विधिपूर्व पवित्र जगोपर यदकर्दमयी मंडल करीने तेमणे मोतीनो साथी पूर्यो. ते वखते त्यां रत्नाकर तथा रोहणाचल पर्वतनां जाणे चोरोज होय नहीं, तेवा मेरु पर्वतनां ककडा सरखा सुवर्णनां ढगला हता. एवी रीते गुरुए बतावेला विधिमार्गमा रहीने चक्रीए पुंडरिक गिरिनी संघ सहित पूजा करी. पडी पृथ्वीपर पंचांग नमस्कार करीने तेमणे नीचे प्रमाणे तीर्थनी स्तुति करवा मांडी.जे तीर्थने पातालमां रहेनारा धरणे प्रमुख नागकुमारो सेवे डे, एवा था तीर्थप्रते नमस्कार था ? वली जेने चमरेंड तथा बलीमादिक सर्वे जुवनवासि सेवे , एवा था तीर्थराज प्रते नमस्कार था? जेने किन्नरो किंपुरुषो, तथा किनरोनां इंडो सेवे , एवा था तीर्थराज प्रते नमस्कार था ? वली जे तीर्थने राक्षसोनां अधिपो तथा यदेश्वरो परिवार सहित सेवेने, एवा श्रा तीर्थराजप्रते नमस्कार था ? वली जेने अणपन्नी पणपन्नी प्रमुख व्यतरेंजो सेवे डे, एवा था तीर्थप्रते नमस्कार था ? वली जेने चंबसूर्य नामनां ज्योतिषनां इंस्रो, तथा बीजा खेचरो पण सेवे बे, एवा था तीर्थराज प्रते नमस्कार था ? वली जेने मनुष्य लोकमां रहेनारा वासुदेवो तथा चक्री पण सेवे , एवा था तीर्थराजपते नमस्कार था? वली जेने इंस्रो, उसो तथा सिको भने विद्याधरनां खामी पण सेवे
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