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________________ पंचमःसर्गः १७७ पण चंजनां किरणोनी पेठे जगतने तापरहित करे . कमल सरखा उज्वल एवा आ पुंडरिक गिरिनुं जेठ दर्शन करे , ते पुण्यरूपी अमृतथी पवित्र थश्ने पापरूपी कादवथी मुकाय . वली था गिरिराजने जोश्ने माझं मन एटलुं तो आनंद पामे डे के, जाणे हुं पापरूपी मेलथी मुकाश्ने निर्मल थयो हो नहीं, तेम लागे बे. वलीमारा पोतानांज थात्मानी खातरीथी था तीर्थने हुँ पंकरहित धारुं बुं, केम के, कार्य कारणनी अपेक्षाथीज थाय . वली पवनथी कंपता मस्तकोये करीने श्रा वृदो तीर्थनां वासथी जाणे नाचतांज होय नहीं, तेम मारीश्रांखोने अत्यंत श्रानंद श्रापे . वली जे पदिउँ था तीर्थपर वसे, तेउने पण धन्य बे; पण चक्रीनी लक्ष्मीवाला, एवा पण अमो दूर होवाश्री धन्य नथी. एम कहीने चक्रीए हस्ती स्कंधथी उतरीने गणधरोने तथा मुनिने हर्षथी नमस्कार कों; तथा धर्ममार्गने देखाडनारा ते गुरुजने तेमणे पुब्यु के, हे जगवन् ! था पर्वतने शी रीते पूजवो? तथा अहीं शुं क्रिया करवी ? त्यारे श्रीनान नामनां मुख्य गणधर अवधिज्ञानथी जाणीने कदेवा लाग्या के, हे चक्री! जोवामात्रथीज था पर्वतने नमस्कार करवो; वली था गिरिनां प्रथम दर्शननी जे माणस वार्ता पण निवेदन करे, तेना प्रते जे कंई देवाय, ते पुण्यनी वृद्धिमाटे थाय बे. वली उगता चंजने जेम तंतुउथी तेम, पुण्यलाल माटे प्रथम श्रा पर्वतने सुवर्ण, मणि, रत्न विगेरेथी वधाववो. पली वाहनो तजीने, तथा पृथ्वीतलपर लोटीने जिननां चरणनी पेठे, तेनुं पंचांगी नमस्कारथी सेवन कर. पठी त्यांज आवास करीने, तेज दिवसे उपवास सहित संघपतिए महाधरोनी साथे, जक्ति पूर्वक स्नान करीने तथा शुछ वस्त्रो पेहेरीने, स्त्रीसहित देवालयमां जिननी मनोहर स्नात्रपूजा करवी. संघनी बहार शुरु देशमां श्री शत्रुजयनी सन्मुख पोतानां चित्तसरखो (संघपतिए) उंचो आवास करवो. पड़ी उत्तम धूप उखेवीने, संघसहित मंगलध्वनिम्नो उच्चार थाते बते, याचको प्रते नावसहित दान देतां थकां, उत्तम यक्षकर्दमथी पृथ्वीतलने लींपतां थकां, कुंकुमनां मंडलपर संघने कल्याणकारी एवो मोति अथवा तंडुलोथी खस्तिक करवो. पनी सघलो घोंघाट मटाडीने, तथा गणधरजीने अगाडी करीने, तेनी पाबल संघपतिए रहीने पूजानो उत्सव करवो. त्यांलुंजेलां, २३ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005362
Book TitleShatrunjaya Mahatmya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1899
Total Pages340
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size20 MB
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