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श्री लालवविभक्ति-अध्ययन-अ
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॥२५॥
वण्णओ पीअए जे उ, भइए से उगंधओ रसओ फासो चेव, भइए संठाणओवि अ वण्णओ सुक्किले जे उ, भइए से उ गंधओ । रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ ||२६|| गंधओ जे भवे सुभी, भइए से उवण्णओ । रसओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ ||२७|| गंधभो जे भवे दुब्भी, भइए से उवण्णंओ । रसओ फासओ चैव भइए संठाणओवि अ ॥ २८ ॥ रसओ वित्तए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेत्र, भइए संठाणओवि अ ॥२९॥ रसओ कडुए जे उ, भइए से उ वण्णओ 1 गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ ॥ ३०॥ रसओ कसाए जे उ, भइए से उ वण्णओ । गंधओ फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ ॥ ३१॥ रसओ अंबिले जे उ, भइए से उवण्णओ । गंध फासओ चेव, भइए संठाणओवि अ ॥ ३२ ॥
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रसओ महुरे जे उ, भइए से उ वण्णओ गंधओ फासओ चैव भइए संठाणओवि अ ॥३३॥
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फासओ कक्खडे जे उ भइए से उ वण्णओ | गंध रसओ चेव, भइए संठाणओवि अ ॥ ३४ ॥
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