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________________ [ તoખભેદ श्रीमहानिसिथमांहे उपधान सरवरा दिन, तप-उपवास, आंबिल, निवी, एकासणा बोल्या छे, परं विहां पणि इसटा न कह्या जे-'पोसहमांहे उपधान वहीजे !' जिके दिनाई पोसहि मानइ ते उपधानर्माहे मोसह करइ संवरमाहे रहइ तिणने रूडा दिसइ, परं जे दिनाई पोसह न मानइ तिहने पोसहिमांहे करवा नही अने तेहनी पोसहिमांहे उपधान बहणरा ठाम नही। : पर० जिणप्रभसूरि विधिप्रपामांहे गांठरा घाल्या अरथ सास्त्रविरुध मन कल्प्या, पोसहिरा दिन उपधानरा नाम परतररा आणे छे, बीजा टाले छे। श्रीजिनवल्लभमरिकृत पोषधविधिमकरणसूत्र तेहनी *विरति आपणी जोडी, तिणमाहे सूधा वखाण्या छे, ते टीका मूलगी *राषीने हिवडां नवी 'संवत् १६६१ टीका जोडी सत ४५ +एणइ भट्टारक पाटणमांहे [तिणमांहे ] इसडा कह्या 'उवहाण वही करे विजा न करइ' ते सास्त्रविरुद्ध छे, परं जूने सास्त्रे ए अरथ नथी। खरतरनइ समाचारी घणेरी सर्व जिणप्रभसूरीइ रागद्वेषह फेरी दीसइ छ । श्री अभेदेवमूरि तथा जिणवल्लभम्मूरिनी समाचारी मुहे कहे, पर तेहना लवलेस आज नथी, पिछली समाचारी निणप्रभसरिइ नवी थापी छे, तेणइ सरव बोल एहना विघटइ छ -एतो जाणयो। ५६।। * वृत्ति प्र०। x राखी नहीं प्रा। + प० प्र०। क० प्र०% पतु प्र०। - આ પાઠ ગ્રંથકર્તાના સમયનું પ્રમાણ બતાવવા માટે સમર્થ છે. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005322
Book TitleTapa Khartar Bhed
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Jambusuri
PublisherMuktabai Gyanmandir Baroda
Publication Year1950
Total Pages196
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati
File Size7 MB
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