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________________ સમવાય-૪૨ नाम. ६३० संमुच्छिम भुयपरिसप्पाणं उक्कोसेणं ३० स भूमि सुपरिसपना उत्कृष्ट स्थिति बायालीसं वाससहस्साई ठिई पण्णत्ता। બેતાલીસ હજાર વર્ષની છે. ६३१ नामकम्मे बायालीसविहे पण्णत्ते तंजहा- १३१ नाम भ मेतालीस प्रानुं हुं छेगइनामे जाइनामे सरीरनामे सरीरंगो तिनाम, जतिनाम, शरी२, शरीरावंगनामे ગોપાંગ, શરીર બંધનનામ, શરીરસંઘાતન नाम, सधया नाम, संस्थान, वरा नाम,, सरीरबंधणनामे सरीरसंघायणनामे संघ आध, २४,२५, मगु३सधुनाम, पात, यणनामे संठाणनामे दण्णनामे गंधनामे ५राघात, मानु पूर्वा, वास, मात रसनामे फासनामे नाम, धोत, विडायोगतिनाम, सनाम, स्था१२, सूक्ष्म, मा६२, पर्याप्त, अपर्याप्त, अगुरुलहुयनामे उवधायनामे पराघाय સાધારણ શરીર, પ્રત્યેક શરીર, હિર, नामे आणुपुर्वानामे उस्मासनामे आय- मस्थि२, शुभ, अशुभ, सुभा हुन, बनामे उज्जोयनामे विहगगइनामे सुस्व२, हुस्१२, माय, मनाय, यश: કીર્તિ, યશકીર્તિ, નિર્માણનામ, તીર્થકર तसनामे थावरनामे सुहुमनामे बायरनामे पज्जत्तनामे अपज्जत्तनामे साहारणसरीरनामे पत्तेयसरीरनामे थिरनामे अथिरनामे सुभनामे असुभनामे सुभगनामे दुब्भगनामे सुसरनामे दुस्सरनामे आएज्जनामे अणाएज्जनामे जसोकित्तिनामे अजसोकित्तिनामे निम्माणनामे तित्थकरनामे । ६३२ लवणे णं समुद्दे बायालीसं नागसाह- ९३२ सवा समुंद्रनी मान्यत२ (४४ भासा) ___ स्सीओ अभितरियं वेलं धारंति।। ને બેતાલીસ હજાર નાગ દેવતા ધારણ ६३३ महालियाए णं विमाणपविभत्तीए बितिए 33 भविमानप्रविमतिना oilon वर्गमा वग्गे बायालीसं उद्देसणकाला पण्णत्ता। तालीस उद्देशन छे. ६३४ एगमेगाए ओसप्पिणीए पंचम-छट्ठीओ १३४ प्रत्येससपिणीना पांथमा छ मानो समाओ बायालीसं वाससहस्साई कालेणं दमतालीस २ षना छे. पण्णत्ता। ६३५ एगमेगाए उस्सप्पिणीए पढम-बीयाओ ६३५ प्रत्ये3 Sत्सपिंपीना पडेसा-मी मानो समाओ बायालासं वाससहस्साई कालेणं કાળ બેતાલીસ હજાર વર્ષનો છે. पण्णत्ता। Jain Educationa international For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005308
Book TitleAgam 04 Ang 04 Samvayang Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSumanbai Mahasati, Shobhachad Bharilla
PublisherJinagam Prakashan Samiti
Publication Year1980
Total Pages240
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_samvayang
File Size10 MB
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