________________
तेओने अत्यन्त आनन्द उत्पन्न थई भरतखंडमां तो शुं पण बन्ने धर्मोए आखा जगत उपर केटलो अपरिमित उपकार कर्यो छे, ए नजरे आव्या पछी हालना जगतमांना प्रचलित धर्मो तथा बौद्ध अने जैनधर्मो एनो जेवो जेवो संबन्ध तेओनी नजरमा आवतो । जशे तेम तेम आ नवीन मळेली विलक्षण रत्नोनी अगाध खाण : देखीने तेओनुं मनः आनन्दसागरमा तल्लीन थई जशे. एटलंज आ ठेकाणे कहेवू बस छे. छेवट जे श्रीमंत सयाजीराव महाराजनी कृपाथी मने आ भावी लाभनो यत्किचित् अंश प्राप्त थयो ते , महाराजानी आ धार्मिक जिज्ञासा एवीज वृद्धि वाली रहो. आ प्रमाणे ईश्वर पासे प्रार्थना करीने कंटाळो आववा जेवो आ लेख परो करुं छु.
एमांना केटलाक विचारो साथे जैनोनो सहज भेद छे ते तेमनक समागमथी समजी शकाय तेम छे. आगलना लेखमां पण एज प्रमाणे समजी लेबु.
मुनिश्री अमरविजयजी.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org