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खापणाथी वहेचणी करेली होवाथी, प्राचीन ब्राह्ममधर्म, अने बौद्धधर्म, एमां बौधिकअंगोनुं विना कारण मोटापणुं बतावेलुं छे.
बीजा धर्मना प्रमाणमां जैनधर्मवालाने कयुं स्थान आपी शकाय ? तेनो निश्चय करवा, तेना अंतरंगनो थोडो अधिक विचार करीए. ___ जैनधर्मने बधा धर्मोथी विशेष महत्व केम प्राप्त थयुं छे तेन हुं बताईं छु.
देव विषयोना संबंधे, जैनधर्मनो प्रमाण तरीके मानेलो मत, एज तेनामां पेहली मोटी महत्वनी वात छे. जैनधर्म मनुष्योत्सारी ( नरथी नारायण सुधी चढेलो ) धर्म ठरे छे. वैदिकधर्म, अने ब्राह्मणधर्म, ए पण मनुष्योत्सारी छे खरा, पण ते केवल औपचारिक छे, कारण देव एटले कोई मनुष्यातीत प्राणी छे, तेने मंत्रोथी वश करी, इष्ट प्राप्ति करी लेवू मानी लीधेलुं छे. पण खरं मनुष्योत्सारीपणुं जैन अने बौद्धमांन देखाई आवे छे. बौद्धनो ईश्वरविषयक मत घणोज जुदो बनी मयो छे, मूलमांज ते अनीश्वरवादी हतो के केम ? एवो संशय उत्पन्न यई जाय छे.
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