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आवी रीते प्राचीन सिद्धांतनो त्याग करवामां शुं प्रयोजन हो ? आ विषयमा कल्पना शिवाय अन्य कोई गति नथी..
आ उपरांत ए पण एक बात ध्यानमा राखवानी छे के, महावीर कोई एक नवा धर्मना संस्थापक न हता, परंतु जेम में सिद्ध करेलुं छे के, तेओ एक प्राचीन धर्मना सुधारक मात्रज हता. जैनधर्म ए स्वतंत्ररीते उत्पन्न थएलो छे. परंतु कोई अन्यधर्मनी अने खास करीने बौद्धधर्मनी शाखारूपे बिलकुल प्रवर्तलो नथी.
पृ. ३० थी-डॉ० हर्मन जेकोबीनी जैनसूत्रो परनी प्रस्तावनाना बीजा भागनो सार
जैनसूत्रोना मारा भाषांतरना प्रथमभागने प्रकट थए दश वर्ष थयां. ते दरम्यान-प्रो० ल्युमन, प्रो० होर्नल, होनेट चुल्हर, डॉ. फुहरर, एम. ए. बार्थ, मि. लेवीस राइस, आदि यूरोपीयन अनेक विद्वानोद्वारा जैनसूत्रोनां भाषांतर शिलालेखो विगेरे बहार पडवाथी, जैनधर्म अने तेना इतिहास विषयक आपणा ज्ञानमा घणा महत्वनो वधारो थयो छे. हवे मात्र कल्पनाने-आ विषयमां थोडोज अक्काश रहेशे.
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