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पोताना मतने आघात पहोंचाड्या सिवाय केटलीक हद सुधी तेनी साथे संमत थई शके छे. अने आधीन न्याय-वैशेषिकदर्शन उपरना ग्रन्थकारोमां जैनोनां पण नामो जोवामां आवे तो तेमा नवाई पामवा जेवू नथी. जैनो तो आनाथी पण आगळ वधीने त्यां सुधी जणावे छे के वैशेषिकदर्शन स्थापनार तेमना मतनोज एक कौशिक्गोत्रीय छडुल्लुय रोहगुत्त नामनो निन्हव हतो. जेणे वि. सं. ५४४ (ई. स. ४८८ ) मां त्रैराशिकमत नामनो छठो नैन्हविक संप्रदाय स्थाप्यो हतो. आ दर्शन- जे वर्णन आवश्यकसूत्र VV. 77-88 मां आपेलुं छे ते वांचवाथी जणाय छे के ते सबलु वर्णन कणादना वैशेषिक दर्शनमाथी लीधेलं छे. कारण के तेमां ( सात नहीं पण) छ पदार्थो अने तेना पेटाभेदोन वर्णन आपेलुं छे, अने आ उपरान्त गुणना वर्गमां (२४ नहीं परन्तु) १७ वस्तुओनुं वर्णन करवामां आवेलुं छे; ने वैशेषिकदर्शन १,१ मां आपेली हकीकत साथे बराबर मळी रहे छे.
मारुं मानवं छे के जैनो अनेक बीजी बाबतोनी माफक, हिंदुस्तानना प्रत्येक प्रसिद्ध पुरुषने पोताना धर्मना इतिहास साथै जोडी देवानी बाबतमां पोताने घटे तेना करतां अधिक माननो हक्क करे छे, उपरोक्त जैनदन्तकथाने असत्य मानवामां मारा
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