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(६९) वर्णवेलो अचेलकोनो आचार अने जैनोनो आचार बराबर एकन छे एम स्पष्ट जणाय छे. 'केटलाक हमेश एकज वखत भोजन करे छे अने केटलाक बे दिवसमा एकन वखत भोजन करे छ. इत्यादि, अने ए रीते वधताक्रमे केटलाक ठेठ एक पखवाडीए एकवार भोजन ले छे'. अचेलकोना आवा बधा नियमो अने जैनोना नियमो या तो लगभग एकज छे अगर तो अतिशय मळता छे, अने आ प्रकारनुं साम्य जोवामां आवतो होवा छतां, तया सच्चक एक निगन्ठपुत्त गणातो होवाना लीधे तेमना धार्मिक आचारोथी ते परिचित होवा छतां, कायभावनाना आदर्श तरीके निग्रन्थोनो उल्लेख करतो नयी ते खरेखर आश्चर्यजनक लागे छे परन्तु आ आश्चर्यजनक बाबतने नीचेनी कल्पनाद्वारा आफ्णे सहेलाईथी समजावी शकीए छीए, अने ते एवी रीते के बौद्धअन्योमा बहुधा जे असलना प्राचीन निर्मन्थोनी बाबतना उल्लेखो मळी आवे छे, ते (निर्ग्रन्यो ) जैनसमाजना जे एक वर्ग महावीरना उअनतोनो स्वीकार को हतो तेओ नहीं, परन्तु
१ आ प्रकारना उपवासोने जैनो चउत्थभस, छछमस इत्यादि नामो मापे छे. (जुओ उ. त. ल्युमन संपादित औपपातिकसूत्र ३० I. A), भने आ उपवास करनारा साधुओ अनुक्रमे वउत्यभक्तिय, मरिया इत्यादिनामोधी ओलाय ले (जुओ दा. त. कल्पसूत्र समाचारी २१.)
merammer
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