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ब्राह्मणधर्मो पैकी वेदान्त, सांख्य अने योगदर्शनो, तथा बौद्धधर्मनो अंतर्भाव थाय छे. बौद्धधर्मना क्षणिकवाद तथा शून्यवादनो उल्लेख सूत्रकृतांग १,१४,४ थी अने ७ मी गाथामां थएलो छे. साथे ए पण जणावयूँ जोईए के वेदान्तिओ अथवा तेमना मन्तव्योनो पण सिद्धांतोमा घणे स्थळे उल्लेख आवे छे. सूत्रकृतांगना भीजा पुस्तकना पहेला अध्ययनमां पृ. ३४४ उपर, त्रीजा पाखंड मत तरीके वेदान्तनुं वर्णन थए© छे. छठा अध्ययनमां, पृ. ४१७ उपर, तेनुं फरीथी वर्णन आलु छे. परन्तु बौद्धोए गणावेला छ तीथिकोमा आ मतनो कोई पण आचार्य नहीं होवाथी आपणे ते उपर आ स्थळे ध्यान देता नथी.'
सूत्रकृतांगना बीजा भागना प्रथम अध्ययनमां, चोथा पाखंड मत तरीके दैववाद ( Fatalism ) नुं वर्णन आवेलुं छे. सामञफलसुत्तमां आ मतनुं मक्खली गोसाल नीचे प्रमाणे प्रतिपादन करे छे–'महाराज ! जीवात्माओनी अपवित्रतामां कोई
१ एक बात याद राखवा जेवी छे के वेदान्तिओ पण बुद्धना प्रतिसद्धि तरीके काम बजावता अने तेओ वैदिकधर्मना तत्त्वज्ञोमा आगळ पडता होवाथी आपणे एम अनुमान करवू जोईए के बुद्धधर्मनी असरवाळा लोकोथी विद्वान् ब्राह्मणो दूरज रहेता.
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