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(२३) बौद्धोए अने जैनोए अमारा भारतीओ उपर घणी क्रियाओ करीने बतावी छे, ए निर्विवादरीते सिद्ध थाय छे. ख्रिस्ती धर्मोपदेशकोमा जे व्रत देखाय छे, अने तत्पंथियलोको जेनुं मोटुं मान धरावे छे, ते तमाम व्रतो घणा प्राचीन कालमां जैनधर्मी
ओमां हतां, एम मानवाने अमोने घणां प्रमाणो मल्यां छे. जैनयतिओ पोताना धर्मनो प्रचार करवामां घणुं चातुर्य वापरता, जैनधर्मना ग्रथोनुं सूक्ष्मावलोकन करवा लागीए तो कांइ जूदीन हकीकतो नजरे पडे छे, हालना जनसमूहमां-जैन अने बौद्ध विषे मोटी गेरसमजूतीओ थएली छे. हिंदुस्थानमां लाखो करोडो लोको वैदिक धर्म करतां एने बिलकुल जूदो माने छे, जैनधर्मीओना मंदिरोनी ठठा निभत्सना करे छे. घणा स्मृतिग्रंथोमां, शास्त्रग्रंथोमां, अने टीकाग्रंथोमां, वेदबाह्य माने छे. जैनग्रंथोनुं सूक्ष्मावलोकन करी जोतां जैनधर्म ए जूदो नथी पण उपनिषत्कालीन, अने ज्ञानकांडकालीन, महान् महान् ऋषिओना जे उत्तमोत्तम मतो हता, ते सर्वे एकत्र करीने बनावेलो धर्म होय एम देखाई आवे छे. जैनधर्मनं प्रथमनुं स्वरूप कहीए तो विशुद्ध छे एटले वैदिकधर्म तेज जैनधर्म छे. जैनकाव्योमां जैनपंडितोना वर्णनोमां तेओ चारे वेदोमां निपुण
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