________________
(५) जेवी रीते जैनोना धार्मिक सिद्धान्तोनी बाबतो आ रूपे सिद्व थई शके छे तेत्रीन रीते तेमनी ऐतिहासिकपरंपराविषयक बाबतो पण सिद्ध थई शके तेत्री छे. वंशपरंपरायी चालती आवती जे विविधगच्छोनी विस्तारयुक्त गुर्वावलिओ मळी आवे छे तथा जैन आगमग्रंथोमां जे स्थविरावलिओ उपलब्ध थाय छे ते स्पष्ट बताकी आपे छे के जैनो पोताना धर्मनो इतिहास राखवामां केटलो बधो रस धरावता हता. हुं एम कांई चोक्कप्त नयी कहेतो के आवी गुर्वावलिओ पाछलथी पण जोडी कढाती नथी के अपूर्ण पट्टावलिओने पूर्ण, एटले हिंदुओना शब्दमां कहिये तो 'पक्की' बनावी शकाती नथी, कारण के दरेक संप्रदायने, पोतानो संप्रदाय एक प्रतिष्ठित आप्तपुरुषथी प्रमाणीक रीते उतरी आवेलो छे, एम बताववा खातर पोतानी गुरु परंपराना नामो उपजावी काढवानी स्वाभाविक रीतेज जरूर पडे छे. परन्तु कल्पसूत्रमा जे एक, . स्थविरो, गणो अने शाखाओनी विस्तृत नामावली आपेली छे तेने कल्पी काढवामां जैनोने कोई पण प्रकारनुं प्रयोजन होय तेम हुं मानी शकतो नथी. कल्पसूत्रमा जेटली विगतो आपेली छे-तेटली पण
9 See Dr. Klatt, Ind. Aut. Vol. XI.
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org