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उद्धारज करता गया छे. तेथी ते परमात्मा अनंतज छे परंतु अनादिकालनो एकन नियंता आ दुनियानो उद्धार कर्याज करे छे एवा प्रकारनी गुंचवन जैनतत्त्वोना वेत्ताने रहेतीन नथी अने आवा प्रकारनी मान्यता छे ते सयुक्तिकज छे पण युक्ति विनानी नथीज. ते परम परमात्मामां कया कया दूषणोनो नाश थई केवा केवा प्रकारना अलोकिक गुणो प्रगट थता हशे, तेवा गुणोनेज टुंकमां जणाववाना हेतुथी महाकवि श्रीसिद्धसेनसूरीश्वरजी मात्र बत्रीश काव्यमांज ते परम परमात्मानी स्तुति करतां पोते कहे छे के-तेवा गुणवाला परमात्माना शरणधीज मारु कल्याण थाओ, एम कहेता थका पोते बीजा भव्य प्राणिओने पण तेमनुज शरण लेवानुं सूचवी रह्या छे. तेज स्तुति अमो पण बीजा जीवोना उपकारना माटे आ जगो पर दाखल करीने बतावीए छीए
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