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(१०९) . त्राहि करीने पोकारे छे, छतां तेने शान्तिनो रस्तो जडतो नथी. जेओ दुनियाने लूटे छे, महायुद्धोने सळगावे छे, तेमने पण आखरे तो शान्तिज जोईए छे. पण शान्ति ते केम प्राप्त थाय?
बिहारनी आ पवित्र भूमिमां शान्तिनो मार्ग क्यारनो नकी थई चूक्यो छे. पण दुनियाने ते स्वीकारतां हजु वार छे. पावापुरीना आ पवित्र स्थळे ते महान् मानवे पोतानुं आत्मसर्वस्व रेडी: दुनियाने ते मार्ग संभळाव्यो हतो, अने पछी शान्तिमा प्रवेश को हतो. दुनियाना शान्तितरस्या लोको नम्र थई, निर्लोभ थई, निरहंकार थई, न्यारे फरी ते दिव्यवाणी सांभळशे त्यारे ज दुनियामा शान्ति स्थपाशे. अशान्ति, कलह, विद्रोह ए दुनियानो कानून नथी, नियम नयी, स्वभाव नथी, पण ते विकार छे. दुनिया ज्यारे निर्विकार थशे त्यारेज महावीरनु अवतारकृत्य पूर्णताने पामशे. "नवजीवन" ।
} दत्तात्रेय बाळकृष्ण कालेलकर काकाता. ४-२-२३
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