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तथा बीजा भागना पृ. ९० मां युरोपियन विद्वान् डॉ. परटोल्ड लखे छे के " स्याद्वादनुंज एक वर्त्तमान पद्धतिनुंज स्वरूप जुओ एटले बस छे. धर्मना विचारोमां 66 जैनधर्म " ए एक निःसंशयपणे परमहदवाळो छे." इत्यादि.
आ ठेकाणे विचार करवानो ए छे के वेदोना प्रवर्त्तक मनाता श्रीवेदव्यासमहर्षि तेमज सर्वज्ञ अने अवतारिक पुरुष गणाता श्रीशंकराचार्य स्वामीजी जेवा पण सर्व पदार्थोंनो सुलभ रीते बोध करावनार एक सामान्य जैनोनो “ स्याद्वादन्याय " न समजी शक्या तो पछी ते वखतना बीजा पण्डितो जैनोना तत्त्वोने समजेला हशे एम केवी रीते मानी शकाय ?
अमो तो एज कहिए छीए के - वर्तमानकालना आ तत्त्वन शोधक पण्डितो जे निःपक्षपणानी बुद्धिथी जैनोमां रहेला महत्वना तस्त्रोने जोई शक्या छे, ते पूर्वेना मोटा मोटा पंडितो पण पोताना दुराग्रहने वश थएला, जैनोना एक पण महत्त्वा तत्त्वने जाणी शक्याज नथी.
आ विषयने वधारे न लंबावतां विशेष एज जणावुं हुं के
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