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सुबो
कस्प० 18 केवी , तो के चंपो, अशोक, पुन्नाग, नाग, प्रियंगु, शिरीष, मुझर, मल्लिका, जादू
जूझ, अंकोल, कोज, कोरंट, दमनकपत्र, नवमालिका, बकुल, तिलक, वासंतिक, सूर्य॥२०॥
विकाशी कमल, चंडविकाशी कमल, पाटल, कुंद, अतिमुक्त तथा सहकार आदिकनां पुष्पोनी ने सुगंधी जेमां एवी. वली ते पुष्पोनी माला केवी , तो के अनुपम एटले जेने कं।
पण उपमा श्रापी शकाय नहीं एवो अद्वितीय, अने मनने अत्यंत आनंद उपजावे एवो जे सु. , गंध, तेणे करीने श्रासपास दशे दिशाउँने सुगंध युक्त करती एवी. वली ते पुष्पोनी माला केवी है हैं, तो के सर्वत्र्नुकं कहेतां सघली शतुमा मलता जे पुष्पो तेणे करीने युक्त थएली एवी, अर्थात्
ते पुष्पमालामां गए रुतुमां थतां पुष्पो गुंथेला हतां. वली ते पुष्पोनी माला केवी ,तो के अत्यंत देदीप्यमान थतां, अने तेथीज अत्यंत मनोहर लागतां, एवां जे जुदी जुदी जातनां लाल, पीला 8 विगेरे रंगोनां जे पुष्पो, तेजेए करीने बच्चे वच्चे करेली जे रचना कदेतां गुंथणी, तेथी चित्र कहेता है है आश्चर्य करनारी एवी. श्रा विशेषणथी एवो नावार्थ कह्यो के ते पुष्पमालामां घणो सफेद वर्ण वर्ते ,
अने अंदर थोडा थोमा वीजा पण वर्णो बे, एम सूचव्यु. वली ते माला केवी बे, तो के गुमगुमा-1 *यमान एटले कर्णने मधुर लागे एवो जे शब्द, तेने करतो, अने अन्य स्थानकेथी त्यां श्रावीने, ते 81
पुष्पोनी मालामां अत्यंत श्रासक्त थतो, तथा न समजी शकाय एवा गुंजारवने करतो एवो षट्-|| पद, मधुकरी ( मधमाख ) तथा जमरोनो जे समूह,ते ने अग्र नागमां, बन्ने पमखांना नागमां तथा है नीचेना नागमा जेने एवी अर्थात ते पुष्पमालानो विस्तार पामतो जे अत्यंत सुगंध, तेथी करीने ते मालाना सघला नागो पर जमरा श्रावीने वलगेला हता. अहीं षट्पद ( पगवालो), मधुकरी, तथा जमर विगेरे जुदा जुदा रंगना जमराउनी जाति कहेली बे, एम जाणी लेवु. एवी
510 रीतनी पुष्पोनी मालाने थाकाशमाथी पमती त्रिशला क्षत्रियाणीए पांचमा स्वप्नमां जो. त्यार पठी हा स्वप्नमां त्रिशला क्षत्रियाणीए चंने जोयो. ते चंछ केवो हतो, तो के गोदीर क-11
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