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________________ कल्प 18के ते धर्मना नायक . वली धर्मना सारथी . जेम सारथी उन्मार्गे जता एवा रथने पालो मार्गमां 8 सुबो लावे तेम जगवंत पण मार्गज्रष्ट थयेलामाणसने पाठो मार्गे लावे , ते उपर मेघकुमारनु दृष्टांत - एक वखते श्रीवीर प्रजु राजगृह नगरीमां समोसर्या हता. तेमनी देशना सांजली श्रेणिक राजा अने है। धारिणी राणीनो पुत्र मेघकुमार प्रतिबोध पाम्यो. तेणे मातापितानी मांस मांगरजा लइ पोतानी बार प्रियानो त्याग करी दीक्षा ग्रहण करी.प्रनुए शिक्षा आपवाने तेने स्थविर साधुने सोंप्यो.एक वखते | उपाश्रयमा अनुक्रमे साधुऊना संस्तारा करतां मेघकुमारनो संस्तारो छारजागनी पासे बेहो आव्यो.18 त्यां मात्रु करवाने जता आवता साधुऊना चरणनी रजथी नरागयेलामेघकुमारने श्राखी रात कणवार है। पण निमा नयावी.त्यारे तेणे चिंतव्यु के,मारे घेर सुखशय्या क्यां! अने श्रावीरीतेनूमि उपर थ लोटवु क्यां! अरे! आवुःख मारे क्या सुधी सहन करवू ? माटे प्रातःकाले प्रजुनी रजा लश् पागे | ६ घेर जश्श. श्रावु चिंतवी प्रजातकाले प्रजुनी पासे श्राव्यो. प्रजुए मधुर वचनथी बोलाव्यो. हे वत्स !/81 ६ ते रात्रे एवं उर्ध्यान कयुं पण ते विचार्या वगर करे .नरकादिकनां पुःखनी श्रागल ए फुःख कोण मा. है .अनेक सागरोपम तेवांपुःख प्राणीए घणी वार सहन काँ जे. वली कयुं के, “अग्निमां प्रवेश है। करवो सारो श्रने शुरू कर्मथी मृत्यु पाम ते सारं, पण ग्रहण करेला व्रतनो नंग अने शीलनी स्खलना । करवी ते सारं नहीं."१ तेम श्रा चारित्रादि कष्टनुं श्राचरण मोटा फलने आपे बे,तें पोतेज पूर्व नवे धर्मने 31 अर्थे कष्ट अनुजव्युं हतुं, तेनुं था फल प्राप्त थयेवु बे.तारा पूर्व नवने सांजल-थाथी त्रीजे नवे वैताढ्य पर्वतनी नूमि उपर तुसुमेरूप्रन नामे हाथी थयो हतो.ते उ दांतवालो, धोलो अने एक हजार हाथिशणीनो स्वामी थयो. एक वखते दावानलथीनय पामी नासी जतां तृषा लागवाथी एक घणा कादव वाला सरोवरमांथावी पड्यो.मार्गनो अजाण होते कादवमाखंची जजलशने तीर बनेमांथी व्रष्ट थयो. पली तारा पूर्वना वैरवाला हाथीए आवी तने दंतोशलनो मार मार्यो. तेनी वेदना सात दिवस है।सुधी जोगवी अंते एकसो वीश वर्षनी आयुष्य पूरी करी ( मृत्यु पामी) विंध्याचल उपर पागे स् JamEducation international tainenerary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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