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________________ पण नाश पामी जाय . तेमज जे लोक एटले जव्य प्राणीउना समूहमां चोत्रीश अतिशयोए । युक्त होवाथी उत्तम बे. वसी जव्य प्राणीऊना नाथ डे थर्थात् योग देम करनारा बे. तेमां योग एटले श्रप्राप्त एवा ज्ञानादिनी प्राप्ति अने केम एटले प्राप्त थयेल झानादिक- रक्षण,तेने करनारा. लोक एटले सर्व जीवोना हितकारी,कारण के दया स्वरूपी वली ते मिथ्यात्वरूप अंधकारने नाश करनार होवाथी लोकमा प्रदीपरूप ले. वली सूर्यनी जेम सर्व वस्तुना प्रकाशक होवाथी लोकमां से उद्योत करनारा ले. तेम वली अजय एटले नयनो अनाव तेने आपनारा ले. BI ते जय सात प्रकारना डे ते था प्रमाणे-जे मनुष्य थकी जय ते पहेलो इहलोकनय कहेवाय / ४. मनुष्यने देवादिकनो जय ते बीजो परलोकलय. धन विगेरे लइ सेवानो नय ते त्रीजो आदा-द। ननय. बहारना को निमित्तनी अपेक्षा वगर उत्पन्न थयेल जय ते चोथो अकस्मात्नय कहेवाय बे. पांचमो श्राजीविकानो जय,बहो मरणजय अने सातमो अपकीर्तिनोजय.एम सात प्रकारना नय बे,तेवा नयमांथी निर्नय करनारा .वली तेने नेत्र समान श्रुत ज्ञानने आपनारा .तेमज मार्ग एटले सम्यग्-15 दर्शन विगेरे मोक्षमार्गने थापनाराजे अर्थात् बतावनारा जे-जेम को लोको मुसाफरीए जता हता,15 तेमनुंजव्य चोरोए खुंटी लीधुं अने पड़ी तेमने आंखे पाटा बांधीने अवले मार्गे चमावी दीधा. तेवा-हू मां को श्रावी तेमनां नेत्र उपरथी पाटाबोडी लइ, धन आपी,मार्ग बतावी उपकारी थाय तेम नगवंत पण कामक्रोधादि कषायोए जेमनुं धर्मरूप धन बुंटी लीधुं ने अने मिथ्यात्वरूप पाटाथी जेजना विवेकरूपी नेत्र बंध कयाँ बे एवा प्राणीने श्रुतझान, सर्म तथा मुक्तिमार्गने बतावी उपकारी थाय ४. वली ते प्रनु केवा के जे आ संसारथी जय पाम्या तेमने शरण आपनारा .वली जीव एट-8 ले मृत्युनो अनाव-जीवन तेने आपनारा . को ठेकाणे बोहिदयाणं एवोपाठ एटले बोधि एट-है। शाले समकित तेने आपनारा.वली ते चारित्ररूप धर्मने आपनारा .धर्मनो उपदेश आपनारा .यहीं ध मर्नु उपदेशकपणुं तेउने धर्मनास्वामीपणाने लीधे कह्यु बे, नटनी जेम फोगट नथी ते दर्शाववाने कहे । For Private Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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