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________________ प्रत्येक सोल हजार देवीउना परिवारवाली ले तेमनो जे खामी ने. बाह्य,मध्यम अने आत्यंतर एवीत्रण हापर्षदानो जे अधिपति बे. गंधर्व, नाटक, अश्व, हाथी, रथ, सुनट अने वृषन एवां नामनां सात सै-181 न्यनो जे खामी ने. नवनपति विगेरे वृषनने स्थाने महिष लेवा. तेमज सात सेनापतिनो अने चारे । दिशाउँमा प्रत्येक चोराशी हजार श्रात्मरक्षक देवता एकंदर संख्याए त्रण लाख अने बत्रीश हजार थाय तेमनोजे अधिपति . ते सिवाय बीजा घणा सौधर्म कल्पना निवासी वैमानिक देव अने देवीन्न । ४ श्राधिपत्य एटले अधिपतिनुं कर्म अर्थात दाने, अग्रेसरपणाने,नायकपणाने,पोषकपणाने, अत्यंत मो-11 ६ टापणाने,आझाए करीने ईश्वर जे सेनापति तेनी पोताना सैन्य प्रत्ये अद्लुत बाझानाप्रधानपणाने नीहै मेला पुरुषोनी पासे जे करावे ,वली पोते तेमनुं पालन करे ने वली ते शुकरे के अविछिन्न एवां नाटक, है गीत अने वाजितो,तेमां वीणा,कमताल,बीजां वायने तोमे तेवा मेघध्वनिवाला मादल अने मोटा ढोल, २ तेमना मोटा शब्द वझे देवताने योग्य एवा जोगववा लायक नोगने जोगवतो विहार करे ३.१४ वली ते । या संपूर्ण जंबूछीपने विशाल एवा अवधिज्ञान वडे अवलोकन करतो विहार करे .ते इंजनगवंत महा-81 वीर प्रज्जुनो जन्म जाणी हर्ष पामेलो ने,संतोष पामेलो तेमज चित्तथी आनंद पामेलो ,मनमांप्रसन्न थयेलो डे, घणा चित्तसंतोषने पामेलो ,हर्षना वशथी प्रसरेला हृदयवालो ,मेघनी धाराथी सिंचायेकोला कदंबवृदनां सुगंधी पुष्पनी जेम रोमांचित थयेल ने तेथी जेना रोमकूप उंचा थया , वली जेनुं मुख अने नेत्रो विकास पामेला उत्तम कमलना जेवां बे, कारण के ते हर्षथी परिपूर्ण बे.तेम श्रीजगवंतना दर्शनथी अधिक संन्रम थवाने लीधे तेनां उत्तम कंकण कंपी चालतां हतां.बहेरखा अने बाजुबंध तुटी जता हता. मुकुट अने कुंमल जे लोकमां प्रसिक , ए सर्व बाजूषणो जेनां प्रचलित श्रयेला बे एवो है। P, वली जेनुं हृदय हार वझे विराजमान जे. जे लंबायमान मुमणां ने हींचका खातां श्राजूषणोने , धारण करे जे. एवो इंश अकस्मात् संज्रम-श्रादरथी, उत्सुकपणाथी अने कायानी चपलताथ। एकदम सिंहासन उपरथी बेठो थयो.बेगे थश्ने पादपीठ एटले पग मूकवाना बाजोठ उपरथी नीचे Jain duent an international For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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