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________________ सुबो करूपण पठी ते ब्राह्मण पश्चात्ताप करतो करतो महास्थाने जश्ने त्यां पोतानो वृत्तांत कहेता (बीजा) ब्राह्मणोएर पूज्युं के 'तुं हजु उपशांत थयो के नहीं ?' त्यारे 'हजु पण मने उपशांति थ नथी' एम कहेतां । ॥१३॥ तेने ब्राह्मणोए पंक्ति (शाति) बहार कर्यो. एवी रीते वार्षिक पर्वमां कोप उपशांत नहीं थवाने 4 हैलीधे जे साधु आदिए खमंतखामणां न कर्यां होय तेने संघ बहार करवा. उपशांतमा उपस्थित कथयो होय तेने मूल प्रायश्चित्त आपQ. ५७.. ४ २४ चोमासुं रहेल साधु साध्वीने बाजेज एटले पर्युषणाने दिवसेज उंचा शब्दवालो तथा कमवाश नरेलो एटले जकार मकार श्रादिरूप कलह थाय तो नानो मोटाने खमावे. जो के मोटाए अपराध को होय तोपण व्यवहारथी नानो मोटाने खमावे. हवे जो धर्म नहीं परिणमवाथी नानो मोटाने न खमावे तो शुं करवू ? ते कहे -मोटो पण नानाने खमावे, पोते खमेथने वीजाने । खमावे, पोते उपशांत थाय अने बीजाने उपशांत करे. सुमतिपूर्वक ( राग वेषना अनावपूर्वक ) सूत्र अने अर्थ संबंधी संपृष्ठना अथवा समाधिप्रश्न पुष्कल थवा जोएं. जेनी साथे कमवाश 3 नरेलो कलह थयेलो होय तेनी साथे निर्मल मनथी वातचीत आदि करवू जोशए ए नाव ले. हवे 4 बेमां जो एक खमावे अने बीजो न खमावे तो कयो रस्तो लेवो ते कहे . जे उपशमे ने तेनी है आराधना थाय .जे उपशमतो नथी तेनी आराधना थती नथी,तेथी पोतेज उपशमित थq. 'हे पूज्य! 2 ते शा कारणथी ?' ए प्रमाणे शिष्ये पूज्ये उते गुरु कहे जे के 'श्रमणपणुं-साधुपणुं वे ते उपशम-13 प्रधान दे.' अहीं दृष्टांत कहे जे के-सिंधु सौवीर देशनो अधिपति श्रने दश मुकुटवक राजाथी सेवातो उदयन नामे राजा विद्युन्माली देवताए आपेली एवी श्रीवीर प्रजुनी प्रतिमानी पूजाथी नीरोगी है ॥१३णा थयेला गंधार श्रावके श्रापेली गोलीना नक्षण करवाथी जेनुं रूप बदजुत थ गयु बे एवी सुवर्णगुलिका नामे दासीने देवाधिदेवनी प्रतिमा सहित हरण करनार अने चौद राजाथी सेवाता १ शांति थाय तेवी अनेक शास्त्रादिनी वातो करवी जोइए. Jan Education to For Private Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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