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________________ IP पर बिंदुरूप जल जे यवना अंकुरा श्रादिने विषे देखाय २ ते ५. जे उद्मस्थ साधुए जाणवाना, जोवाना अने प्रतिलेखवाना ले. ते सूक्ष्म स्नेह जाणवा. ४५. छ। १७ चोमासु रहेल साधु गृहस्थने घेर जात पाणी माटे नीकलवा पेसवा श्छे तो तेने पूज्या &ासिवाय (नीकल पेस) कल्पे नहीं. कोने पूज्या सिवाय ते कहे बे. सूत्रार्थना देनारा श्राचार्यने १, सूत्र नणावनार उपाध्यायने २, ज्ञान आदिने विषे सीदताने स्थिर करनार श्रने उद्यम-18 वालाने उत्तेजन थापनार स्थविरने ३, ज्ञान आदिने विषे प्रवर्त्तावनार प्रवर्तकने ४, जेनी पासे याचार्यों सूत्र थादिनो श्रन्यास करे ते गणिने ५, तीर्थकरना शिष्य गणधरने ६, जे साधने लश्ने बहार अन्य क्षेत्रमा रहे बे,गबने माटे क्षेत्र,उपधिनी मार्गणा आदिमां प्रधावन विगेरेना करनार है एटले उपधि विगेरे लावी थापनार ने अने सूत्र तथा अर्थ ए बंनेने जाणनार मे ते गणावबेदकने , अथवा अन्य ( सामान्य ) साधु जे वय अने पर्याये करीने लघु होय पण जेने गुरुपणाए । अंगीकार करीने विचरे ने तेने. ते साधुने श्राचार्य यावत् जेने गुरुपणाए मुकरर करीने विचरे ने तेने पूबीने ( नीकलवू पेसवू ) कल्पे बे. हवे केवी रीते पूल ते कहे . 'हे पूज्य ! जो श्रापनी थाज्ञा होय तो हुँ गृहस्थने घेर जात पाणीने माटे नीकलवा पेसवा श्लु बुं.' जो श्राचार्य श्रादि ते साधुने श्राज्ञा आपे तो तेने गृहस्थने घेर जात पाणी माटे नीकल, पेसवु कल्पे जे. जो श्राचार्य श्रादि ते है साधुने श्राज्ञा न आपे तो गृहस्थने घेर नात पाणी माटे नीकलवू पेस, कल्पे नहीं. 'हे पूज्य! ते शा हेतुथी ?' एम शिष्ये प्रश्न कर्याथी गुरु कहे के 'श्राचार्य श्रादि विघ्नना परिहारने जाणे .' ४६.४ | एवीज रीते विहार एटले जिनचैत्य, तेने विषे जवं, विचारनूमि एटले शरीर चिंता आदिने ६ & माटे जर्बु श्रथवा उवास थादिवर्जीने लीप,सीववू,लखवू श्रादिक जे कांश काम होय ते सर्व पूबीने है। करवं ए तत्त्व जे. एवीज रीते निदा आदि माटे अथवा ग्लान आदिने कारणे एक गामथी बीजे गाम जq होय तो पूबीने जवं, नहीं तो वर्षातुमा एक गामथी बीजे गाम जqए अनुचितज ३.४. SANSAHARSHAHARASHASHISHES TET ER For Private Personal Use Only wow.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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