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________________ है, कारण के तेमां युगनी मध्यमां पौष तथा युगनी अंते आषाढ मासनी वृद्धि थाय बे, पण बीजा को मासनी वृद्धि थती नथी. ते टीपणुं पण हमणां तद्दन जणातुं नथी. तेथी (श्राषाढ पूर्णि-|| माथी ) पचास दिवसेज पर्युषणा करवी युक्त जे एम वृक्ष आचार्यों कहे जे. अहीं कोई कहे || (शंका करे ले ) के श्रावण मासनी वृद्धि होय त्यारे (बीजा) श्रावण सुदि चतुर्थीने दिवसेज है। पर्युपणा करवी युक्त , पण नादरवा सुदि चतुर्थीने दिवसे युक्त नथी, केमके तेथी एंशी दिवस थवाथी 'वासाणं सवीसराए मासे विश्कते' एटले वर्षाकालना एक मास अने वीश दिवस|| गया बाद ए वचनने बाधा आवे . हे देवानप्रिय ! जो तुं तेमज कहेतो हो तो ते तेम नथी. कारण के एवी रीते तो आश्विन मासनी वृद्धिश्रवाश्री चोमासानुं कृत्य (बीजा) आश्विन मासनी शुक्ल चतुर्दशीएज कर जोए, केमके कार्तिक मासनी शुक्ल चतुर्दशीए करवाश्री सो दिवस थाय अने तेथी 'समणे नगवं महावीरे वासाणं सवीसराए मासे विश्कते सित्तरि राइदिएहिं सेसेहिं। एटले 'श्रमण नगवान् श्री महावीरे वर्षाकालना एक मास अने वीश दिवस गया बाद अने| सिनेर दिवस बाकीरोनते (पर्यषणा करी ममतामांगमा करी) ए समवायांग सूत्रना वचनने बाधा श्रावे. वली एम पण कहेवू नहीं के 'चोमासां तो आषाढ आदि मासथी प्रतिबक बे, तेथी कार्तिक चोमा-|| सानुं कृत्य कार्तिक मासनी शुक्ल चतुर्दशीएज करवू युक्त ने अने दिवसनी गणत्रीने विषे अधिक ! मास कालचूला तरीके होवाथी तेनी अविवक्षाने लश्ने सित्तेर दिवसोज थाय ने तो समवायांगना ॐ वचनने क्याथी वाधा श्रावे ? ( उत्तर कहे . ) जेम चोमासां थाषाढ श्रादि मासथी प्रति-11 बने तेम पर्युषणा पण नादरवा मासथी प्रतिवद्ध ने तेथी ते नादरवामांज करवी. दिवसनी गणत्रीने विषे अधिक मास कालचूला तरीके ने तेथी तेने गणत्रीमा लेवानो नहीं होवाथी पचा-12 सज दिवसो थाय, तो पनी एंशीनी वात पण क्याथी श्रावे? श्रने पर्यषणा नादरवा मासथी। प्रतिबकने एम कहे, ते पण श्रयुक्त नथी, कारण के ते प्रमाणे घणा श्रागमने विषे प्रतिपादन Jain Education international For Private Personal use on www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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