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________________ कल्पण नाखुं. कोप पामेला हनुमाने जेम राक्षसोने माटे लंकाना किल्लामा कर्यु हतुं तेम हुँ उंचे रह्यो थको र सबोग जोदया वचमां न श्रावती होत तो तमारे माटे पण करत. (कृष्णे कयु डे के )"हे जारत! पशुना है। ॥११॥ शरीरने विषे जेटला रोमकूप ने तेटला हजार वर्ष सुधी पशुना घात करनारा (नरकमां ) पचे . जो कोइ सोनानो मेरु तेमज आखी पृथ्वी दानमा थापे अने बीजो कोइ एकने जीवित थापे तो हे युधिष्ठिर ! ते बंने सरखा थ६ शकता नथी. अर्थात् जीवित थापनार वधे ले. मोटां एवां 8 दानोनुं फल पण काले करीने क्षीण थाय , परंतु नय पामेलाने अजय दान पनारना पुन्यनो है। यज थतो नथी, विगेरे.” पनी लोकोए तुं कोण बो ? तारा श्रात्माने प्रगट कर, एम कडं त्यारे है। तेणे कर्वा "हुँ अग्नि ढुं. तमे मारा वाहनरूप था पशुने फोगट शामाटे मारो बो ? अहीं श्री प्रियग्रंथ सूरी आवेला ने तेमने शुद्ध धर्म पूजो अने मननी शुधिपूर्वक तेने थाचरो. जेम नरेन्द्रने विषे चक्री श्रने धनुष्यधारीमा धनंजय (अर्जुन ) ने तेम सत्यवादीउने विषे धोरी ते आचार्य एकज है। .” पली ब्राह्मणोए तेमना कह्या प्रमाणे कस्तूं. | स्थविर प्रियग्रंथथी अहीं मध्यमा शाखा नीकली . काश्यप गोत्रवाला स्थविर विद्याधरगोपालथी अहीं विद्याधरी शाखा नीकली . काश्यप गोत्रवाला स्थविर आर्यसदिन्नने | गौतम गोत्रवाला स्थविर श्रार्यदिन्न शिष्य हता. गौतम गोत्रवाला स्थविर आर्यदिन्नने बे स्थ शिष्य पुत्र समान प्रसिद्ध हता. ते था प्रमाणे-माढर गोत्रवाला आर्यशांतिसेनिक अने जातिस्म रणज्ञानवाला तथा कौशिक गोत्रवाला आर्यसिंद गिरि. माढर गोत्रवाला स्थविर आर्यशांतिसेनिकथी सही उच्चनागरी शाखा नीकली बे. माढर गोत्रवाला स्थविर श्रार्यशांतिसेनिकने चार स्थविर 1 शिष्य पुत्र समान प्रसिक हता. ते था प्रमाणे-स्थविर श्रार्यसेनिक १, स्थविर थार्यतापस २, ॥९श्शा स्थविर आर्यकुबेर ३ अने स्थविर आर्यज्ञषिपालित. स्थविर आर्यसेनिकथी अहीं थार्य १ जारत संबोधन अर्जुन अथवा युधिष्ठिरने माटे . ASHASRA-SHAHARASHTRA For Private & Personal Use Only
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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