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________________ सातमुं पखवामीयुं, ते फागण मासनो कृष्णपक्ष, ते फागण मासना कृष्णपक्षनी एकादशीना | दिवसे सवारना वखते पुरिमताल नामना विनीता नगरीना शाखानगरेनी बहार शकटमुख नामना उद्यानमां न्यग्रोध नामना वृक्षनी नीचे जलरहित श्रहमनो तप करीने उत्तराषाढा नक्षत्रमां चंद्रयोग प्राप्त ये ते ध्यानांतर दशामां वर्ततां प्रजुने अनंत केवलज्ञान उत्पन्न थयुं यावत् ( सर्व प्राणीना जावने ) जाणता, जोता उता विचरवा लाग्या. ए प्रमाणे एक हजार वर्ष गया बाद विनीता नगरीना पुरिमताल नामना शाखानगरमां प्रजुने | केवलज्ञान उत्पन्न थयुं तेज वखते जरत राजाने चक्ररत्न पण उत्पन्न थयुं. ते वखते विषयतृष्णाना विषमपणाने लीधे हुं 'प्रथम पितानी पूजा करूं के चक्रीनी करूं ? एम क्षण वार विचारीने या लोक घने परलोकमां सुख श्रापनारा पितानी पूजा कर्याथी मात्र या लोकमां सुख व्यापार चक्रनी पूजा तो थइज चुकी, ए प्रमाणे बराबर विचारीने हमेशां ठपको देता एवा मरुदेवा माताने हाथी उपर बेसामी श्रगल करीने सर्व कृद्धि सहित जरत राजा प्रजुने वांदवा चाल्या. ज्यारे समवसरणनी नजीक याव्या त्यारे 'हे माता ! तमारा पुत्रनी शद्धि जुड़े.' ए प्रमाणे जरत राजाए कयुं, तेथी हर्षथी | रोमांचित अंगवाला थयेला छाने आनंदनां अश्रु जरावाने लीधे निर्मल नेत्रवाला थयेलों मरुदेवा माता प्रजुनी छत्र, चामर यादिक प्रातिहार्यनी लक्ष्मी जोइने विचारवा लाग्या के "अहो ! मोहथी | विह्वल थथेला सर्वे प्राणीउने धिक्कार बे ! तेर्ज स्वार्थने लीवेज स्नेह करे छे, कारण के रुपजनां दुःखथी रुदन करती एवी जे हुं तेनां तो नेत्र पण हीन तेजवालां थयां, परंतु रुषन तो यावी रीते सुर ने सुरथी सेवातो थको ने यावी जातनी समृद्धि जोगवतो बतो पण मने सुखवार्तानो १ गुजराती माघ वदि ११. २ परुं. ३ शुक्लध्यानना प्रथमना वे नेदनुं ध्यान करी रह्या पबीनी दशा ते ध्यानांतर दशा जाणवी. ते वखते ध्यान होतुं नथी. बाकीना वे पाया जवने अंते ध्यावामां आवे छे. ४ प्रजुना विरहे रुदन करतां खमां परुल आवेलां ते या वखतनां हर्षाश्रुथी धोवाइ गयां तेथी नेत्र निर्मल थयां . Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.005230
Book TitleSubodhika Kalpasutra Tika Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayvijay
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1915
Total Pages414
LanguageGujarati
ClassificationBook_Gujarati, Agam, Canon, & agam_kalpsutra
File Size16 MB
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