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कल्प
॥१९॥
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| लाग्यु. पनी ते रसथी प्रजुए सांवत्सरिक तपनुं पारणुं कयु. ते वखते त्यां वसुधारानी' वृष्टि, चेलो-|| त्देपे, आकाशमां देवकुंकुनि, गंधोदक पुष्पवृष्टि अने अहो दान अहो दान एवी श्राकाशमा उद्घोषणा एवी रीतनां पांच दिव्य प्रगट थयां. पली सर्वे लोको त्यां एकग थया. श्रेयांस कुमारे, | तेमने जणाव्युं के "हे लोको ! सद्गति मेलववानी श्छाथी आ प्रमाणे साधुनने एषणीय श्राहारनी निदा अपाय .” एवी रीते आ श्रवसर्पिणीमां श्रेयांस कुमारे बतावेलु दान प्रथम जाणवू. “तमे | आ बाबत केवी रीते जाणी?" ए प्रमाणे श्रेयांसने लोकोए पूज्युएटले तेणे प्रजुनी साथेनो पोतानो | आठ नवनो संबंध कही संजलाव्यो के 'ज्यारे प्रजु ईशान देवलोकमां ललितांग नामे देव हता त्यारे हुँ पूर्व नवनी निर्नामिका तेमनी स्वयंप्रता नामे देवी थर हती १, त्यारपली पूर्व विदेहमा पुष्कलावती विजयने विषे लोहार्गल नामना नगरमां प्रनु वनजंघ राजा हता त्यारे टुं श्रीमती नामे
तेमनी राणी हती २, त्यांथी उत्तरकुरुमां लगवान् युगलिक हता अने हुँ तेमनी युगलिनी हती ३, * त्यांथी सौधर्म देवलोकमां श्रमे बने मित्रदेव थया हता ४, त्यारपडी प्रनु अपर विदेहमा वैद्यपुत्र
हता त्यारे हुँ जीर्ण शेग्नो पुत्र केशव नामे तेमनो मित्र हतो ५, त्यांथी अच्युत देवलोकमां श्रमे । ४ बने देव थया हता ६, त्यांथी पुमरी किणी नगरीमा प्रनु वज्रनाल चक्री हता ते वखते ढुं तेमनो |
सारथि हतो , त्यांथी सर्वार्थ सिद्ध विमानमा अमे बंने देव थया हता ७ अने श्रहीं हुं प्रजुनो | प्रपौत्र थयो ढुं.' आ प्रमाणेनी हकीकत सांजलीने सर्वे लोको "शषनदेव समान पात्र, शेरमीना रस समान निरवद्य दान अने श्रेयांसना जेवो जाव जो पूर्वनुं लाग्य होय तोज प्राप्त थाय.” इत्यादि स्तुति करता पोतपोताने स्थानके गया. एवीरीते दीक्षाना दिवसथी मामीने एक हजार वर्ष सुधी प्रजुना उद्मस्थपणानो काल जाणवो. तेमां सघलो मली प्रमादकाल एक अहोरात्रनो जाणवो.
॥१११॥ ___एवीरीते यात्माने नावता उता एक हजार वर्ष पूर्ण थयां, त्यारपबीआ शियालानो चोथो मास,
१व्यनी. २ वस्त्रनी वृष्टि. ३ दोषरहित. मग्गी-मार्गितं मागणुं (नाग्य ).
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